औद्योगिक नजरिए से उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कानपुर, आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर सहित अन्य कई जिलों में उद्योगों की अधिकतम वृद्धि दर रही है। 60-70 के दशक में उद्योग जगत के नजरिए से यूपी की एक अलग पहचान थी। यही कारण रहा कि यूपी के उत्पादों की देश के अलावा विदेशों में भी अच्छी मांग थी। लेकिन, बदलते वक्त में यूपी का यह रुतबा खत्म होता चला गया और एक के बाद एक उद्योगों पर ताले लगने शुरू हो गए। जिसकी वजह से यूपी से दूसरे राज्यों में पलायन बढ़ने लगा। राज्य सरकार का आरोप है कि उद्योग संगठन समय-समय पर अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाते रहे लेकिन कुछ खास उन्हें व्यवस्थाएं नहीं मिली। रोजगार के अवसर ना के बराबर थे, जिस कारण पलायन भी अपने शीर्ष पर रहा। योगी आदित्यनाथ साढ़े तीन साल से सत्ता में काबिज हैं। योगी सरकार के मुताबिक उस समय 36 हजार करोड़ की 86 लाख लघु और सीमांत किसानों की कर्जमाफी और करीब 36 हजार करोड़ की ही सातवें वेतन आयोग की देनदारी थी। अब इससे उबारने के लिए योगी सरकार का दावा है कि वो चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है और करीब दर्जन भर अलग-अलग विभागों की नीतियां बनाईं गई है।
राज्य सरकार के मुताबिक विभिन्न क्षेत्रों में रिकॉर्ड 186 सुधारों को लागू किया गया है। रोजगार को लेकर योगी सरकार ने 2018 में इंवेस्टर समिट कराने की रणनीति तैयार की। इंवेस्टर समिट में करीब चार लाख 28 हजार करोड़ के एमओयू हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एमओयू का 10 से 12 फीसदी ही धरातल पर उतरता है।
योगी सरकार के मुताबिक इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम, पारदर्शी व्यवस्था और समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए लगातार समीक्षा और उद्योगपतियों से सीधे संवाद किया गया है। सरकार के मुताबिक सूबे में 759 कंपनियों का एक लाख 88 हजार 924 करोड़ का निवेश प्रक्रिया में है और 14 लाख 23हजार 688 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इसमें 156 कंपनियों ने 48 हजार 707 करोड़ का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है। इन कंपनियों में करीब एक लाख 21 हजार 770 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला। इसके अलावा 53 हजार 955 करोड़ की लागत से 174 कंपनियां ऐसी हैं, जो प्रक्रिया में हैं और जल्द ही उत्पादन शुरू करने वाली हैं। इनमें दो लाख 38 हजार 119 लोगों के रोजगार मिलने की संभावना है। ऐसे ही 86 हजार 261 करोड़ के निवेश से 429 कंपनियों की सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई हैं और निवेशक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। इनमें 10 लाख 63 हजार 799 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
योगी सरकार का दावा है कि परंपरागत उद्योगों को जीवनदान देने के लिए “एक जिला, एक उत्पाद” (ओडीओपी) मेगा प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसके माध्यम से सभी 75 जिलों के अलग-अलग उत्पादों को नई पहचान दी गई है। इसके लिए उद्योग विभाग ने नीतियां बनाने से लेकर पिछले तीन साल में करीब 26 सौ उद्यमियों को 82 करोड़ की आर्थिक मदद भी की गई है।
सरकार का अनुमान है कि इन उद्योगों से 28 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले हैं। इतना ही नहीं, राज्य सरकार के मुताबिक ओडीओपी के 11हजार उत्पाद अमेजन पर उपलब्ध हैं और 24 करोड़ की कीमत के 50 हजार उत्पादों की बिक्री भी हुई है।
सरकार का ये भी मानना है कि उनकी तरफ से कोरोना काल के दौरान भी बेहतर कदम उठाए गए हैं। ऐसे समय में भी देशी-विदेशी 57 कंपनियों ने 46 हजार 501 करोड़ रुपए की लागत से निवेश के लिए सरकार से करार किया है। इसमें 28 विदेशी कंपनियों ने 9,357 करोड़ के निवेश के लिए करार किया है। इसमें एक जूता बनाने वाली कंपनी ऐसी है, जो चीन से शिफ्ट होकर भारत आई है और तीन सौ करोड़ के निवेश से आगरा में उत्पादन शुरू कर दिया है। राज्य सरकार की माने तो 37 हजार 144 करोड़ रुपए का निवेश करने के लिए 29 घरेलू कंपनियों ने करार किया है।