योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश को रक्षा उपकरण निर्माण क्षेत्र में एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करने की तैयारी कर रही है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब एक अनुमान के अनुसार भारत रक्षा खरीद पर अगले 10 सालों में करीब 250 अरब डॉलर खर्च करेगा। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार इस परिपेक्ष्य में चाहती है कि विदेशी कंपनियां इस क्षेत्र में कार्यरत भारतीय कंपनियों के साथ करार करे और देश में ही उपकरणों का निर्माण हो। इसका मूल उद्देश्य भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने की है और इसकी पॉलिसी पहले ही मंजूर हो चुकी है।
योगी सरकार लखनऊ में फरवरी 21 एवं 22 को प्रस्तावित ‘ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट’ 2017 में प्रदेश को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में प्रस्तावित करने हेतु कमर कस चुकी है।
प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय ने बताया कि उत्तर प्रदेश इस समिट में कई नए क्षेत्रों को प्रोत्साहन देगा, खास तौर से रक्षा, फार्मा, बायोफुएल इत्यादि को।
इसके अलावा आने वाले हफ्तों में प्रदेश सरकार कई अन्य क्षेत्रों में अपनी नयी नीति भी घोषित करेगी, जिसमें शामिल हैं वस्त्र, फिल्म निर्माण, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर उर्जा, सुचना प्रौद्योगिकी इत्यादि।
इस समिट में योगी सरकार ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नेपाल एवं मॉरिशस के प्रधानमंत्री समेत कई देशों के राजदूत और करीब 5000 निवेशक, उद्योगपति एवं व्यापार जगत को आमंत्रित करने का फैसला किया है।
प्रदेश सरकार इस दो दिवसीय समिट में करीब Rs 50,000 करोड़ के निवेश सम्बन्धी सहमती पत्रों (MoU) पर हस्ताक्षर करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश सरकार पूरा प्रयास करेगी कि यह निवेश प्रदेश में जल्द से जल्द फलीभूत हो सके। पिछली मायावती एवं अखिलेश यादव सरकारों नें भी इस प्रकार के कई MoU पर अपने कार्यकालों के दौरांन हस्ताक्षर किये थे, परन्तु ज्यादातर में कोई काम ना हो सका और वह कोरे ही रह गए।
समिट हेतु, प्रदेश सरकार कई अग्रणी औद्योगिक देशों जैसे अमरीका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंडस, ताइवान एवं दक्षिण कोरिया को ‘पार्टनर देश’ के रूप में समिट में पेश करेगी, जिससे वह निवेशकों का भरोसा जीत सके।