उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 'तलाक-ए-हसन' और 'एकतरफा न्यायेतर तलाक' को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। 'तलाक-ए-हसन' मुस्लिम समुदाय में तलाक देने का एक तरीका है। जिसमें एक व्यक्ति तीन महीने की अवधि में हर महीने एक बार 'तलाक' शब्द का बोलकर विवाह को भंग कर सकता है।
जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यह जवाब मांगा। जिसमें गाजियाबाद निवासी बेनज़ीर हीना द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है जिसने उन्होने तलाक-ए-हसन के शिकार होने का दावा किया था।
मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2023 के तीसरे सप्ताह में होगी।