उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान आतंकवादी हमलों से पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह याचिका बिना किसी ठोस सार्वजनिक कारण के केवल प्रचार के लिए दायर की गई है।
याचिका में जम्मू-कश्मीर में बढ़ते पर्यटन को देखते हुए आतंकी खतरों से पर्यटकों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से एक व्यापक सुरक्षा योजना लागू करने का अनुरोध किया था, जिसमें आपातकालीन हेल्पलाइन, प्रशिक्षित गाइड और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती शामिल थी। याचिका में प्राकृतिक आपदाओं और बुनियादी ढांचे की कमी जैसे अन्य जोखिमों का भी जिक्र किया गया था।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार पहले से ही पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है। पीठ ने टिप्पणी की कि इस तरह की याचिकाएं न्यायिक समय की बर्बादी हैं और इन्हें केवल सुर्खियां बटोरने के लिए दायर किया जाता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि पर्यटन स्थलों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की तैनाती के साथ-साथ अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं पहले से मौजूद हैं।
जम्मू-कश्मीर में हाल के वर्षों में पर्यटन में जबरदस्त उछाल देखा गया है। 2024 में 1.5 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने घाटी का दौरा किया, जो एक ऐतिहासिक आंकड़ा है। इस वृद्धि के साथ सुरक्षा और बुनियादी ढांचे पर दबाव बढ़ा है, लेकिन प्रशासन का दावा है कि स्थिति नियंत्रण में है। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि वे इस मुद्दे को अन्य मंचों पर उठाएंगे।