उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या की मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि मुकदमा जल्द ही पूरा नहीं होने वाला है।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उसने राहुल मुखर्जी के साथ अपनी बेटी के लिव इन रिलेशनशिप को देखते हुए हत्या की योजना बनाई थी।
पीठ ने कहा, "हम मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। भले ही अभियोजन पक्ष द्वारा 50 प्रतिशत गवाह दिए गए हों, लेकिन मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा। उसे निचली अदालत की संतुष्टि के अधीन जमानत पर रिहा किया जाएगा।"
बता दें कि पीठ में जस्टिस बी आर गवई और ए एस बोपन्ना भी शामिल थे। इंद्राणी मुखर्जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए, जो वर्तमान में अगस्त 2015 में गिरफ्तारी के बाद मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद है। रोहतगी ने कहा कि मुकदमा जल्द पूरा नहीं होने वाला है क्योंकि बड़ी संख्या में गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है। हत्या के मामले में सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें कई मौकों पर जमानत देने से इनकार कर दिया था।
बोरा (24) की अप्रैल 2012 में इंद्राणी मुखर्जी, उसके तत्कालीन ड्राइवर श्यामवर राय और पूर्व पति संजीव खन्ना द्वारा एक कार में कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। शव को पड़ोसी रायगढ़ जिले के एक जंगल में जला दिया गया था। बोरा अपने पिछले रिश्ते से इंद्राणी की बेटी थीं। पूर्व मीडिया बैरन पीटर मुखर्जी को भी कथित तौर पर साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें फरवरी 2020 में उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।