पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बॉल्टन ने हाल ही में भारत पर ट्रंप प्रशासन के दौरान लगाए गए टैरिफ़ को अमेरिका की विदेश और व्यापार नीति के लिए “सबसे बुरा परिणाम” बताया। बॉल्टन, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे, ने यह टिप्पणी एक इंटरव्यू और अपने लिखे लेख में की। उन्होंने कहा कि इन टैरिफ़ का उद्देश्य मूल रूप से रूस पर दबाव बढ़ाना था, लेकिन नतीजे उलटे हुए। भारत को रूस और चीन के करीब धकेलने का खतरा बढ़ गया।
बॉल्टन के अनुसार, दशकों से अमेरिकी रणनीति का एक अहम हिस्सा भारत को रूस और चीन से अलग रखना रहा है। अमेरिका ने भारत के साथ व्यापार, रक्षा और कूटनीतिक संबंध मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए, ताकि वह पश्चिमी खेमे के साथ और गहराई से जुड़ सके। लेकिन ट्रंप प्रशासन के टैरिफ़ निर्णय ने इस दिशा में की गई वर्षों की मेहनत को नुकसान पहुँचाया। उन्होंने कहा, “यह एक बहुत बड़ी गलती थी और अमेरिका के रणनीतिक हितों के खिलाफ गया।”
उन्होंने इस स्थिति की विडंबना पर भी जोर दिया—जहां चीन को टैरिफ़ के मामले में अपेक्षाकृत नरमी का लाभ मिला, वहीं भारत पर अपेक्षाकृत कठोर कार्रवाई की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत ने व्यापार और रणनीतिक सहयोग के नए अवसर रूस और चीन के साथ तलाशने शुरू कर दिए। बॉल्टन का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहा, तो भारत, रूस और चीन का त्रिपक्षीय सहयोग अमेरिका के लिए एक गंभीर भू-राजनीतिक चुनौती बन सकता है।
पूर्व NSA ने यह भी इंगित किया कि ऐसे समय में जब अमेरिका को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत का सामना करना पड़ रहा है, भारत के साथ मजबूत संबंध बनाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत इस क्षेत्र में एकमात्र बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके पास सैन्य और आर्थिक क्षमता है जो चीन के प्रभाव को संतुलित कर सकती है। टैरिफ़ जैसे कदम न केवल आर्थिक संबंधों को चोट पहुँचाते हैं, बल्कि विश्वास और दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को भी कमजोर करते हैं।
बॉल्टन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं—जैसे रक्षा प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग, और आपसी व्यापार। हालांकि, उनका मानना है कि ट्रंप प्रशासन की टैरिफ़ नीति ने रिश्तों में एक अनावश्यक खटास पैदा की, जिसके दीर्घकालिक परिणाम अमेरिकी रणनीतिक हितों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं।
इस तरह, बॉल्टन का बयान एक चेतावनी है कि वैश्विक शक्ति संतुलन के दौर में, आर्थिक और रणनीतिक नीतियों में तालमेल बेहद जरूरी है, और गलत आर्थिक फैसले भू-राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।