कर्नाटक में किशोर गर्भधारण के मामलों में पिछले तीन वर्षों में 54% की वृद्धि देखी गई है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच राज्य में 25,436 किशोर गर्भधारण के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2022-23 में यह संख्या 49,875 थी। इस बढ़ोतरी के लिए कर्नाटक सरकार के एक मंत्री ने सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध सामग्री किशोरों के मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और उन्हें अपरिपक्व निर्णय लेने के लिए प्रेरित कर रही है।
अधिकारियों का कहना है कि किशोर गर्भधारण के मामलों में वृद्धि का मुख्य कारण बाल विवाह और किशोरावस्था से जुड़े शारीरिक और मानसिक बदलाव हैं। कई मामलों में लड़कियों को अस्पताल तक जाने तक अपनी गर्भावस्था का पता नहीं चलता। आंकड़े केवल सरकारी अस्पतालों से प्राप्त हुए हैं, जबकि निजी अस्पतालों के मामलों की जानकारी नहीं मिलने के कारण वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
समाधान के लिए अधिकारियों ने समाज में जागरूकता बढ़ाने, बाल विवाह पर रोक लगाने और किशोरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कर्नाटक में किशोर गर्भधारण की बढ़ती संख्या एक गंभीर सामाजिक समस्या बनती जा रही है, जिसे रोकने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे।