सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में विधानसभा से पारित विधेयकों को राज्यपाल द्वारा मंजूरी मिलने में हो रही देरी को लेकर सख्त नाराजगी जतायी है। सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहे इस गतिरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाखुश है। सिर्फ यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर चिंता का विषय भी बताया है। दरअसल मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पदरीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों से यह कहा कि "हमारा देश स्थापित परमपराओं से चल रहा है और इसका पालन करना जरूरी है।" इसके अतिरिक्त न्यायलय ने राज्यपाल पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि "आप आग से खेल रहें हैं" साथ ही साथ राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र को अंसवैधानिक करार देने की शक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह उठाया।
बता दें कि पीठ ने पंजाब सरकार से भी यह सवाल पूछा कि सरकार ने पंजाब विधानसभा के बजट सत्र को स्थागित क्यों नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के हाथों में काम करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह विधेयकों को पारित करने के मामले पर राज्यपाल की शक्ति पर कानून तय करने के लिए एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे।
इसी कड़ी में बता दे कि 6 नवंबर को शीर्ष अदालत ने यह कहा था कि राज्य के राज्यपालों को इस बात से अनजान नहीं रहना चाहिए कि वह जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं। और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के द्वारा की गई करवाई का रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया था। और विधानसभा से पारित विधेयकों पर देरी को लेकर चिंता व्यक्त की ।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा विधेयकों को पारित करने में देरी करने के आरोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पंजाब सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस प्रकार की असंवैधानिक निष्क्रियता से पूरे प्रशासन को ठप्प कर दिया है। राज्यपाल अनिश्चितकालीन समय के लिए विधेयकों पर बैठ नहीं सकते क्योंकि उनके पास संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत सीमित शक्तियां हैं।