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अलीगढ़: लॉकडाउन ने छिना रोजगार, खाने के लिए 2 महीने तरसते रहे महिला और उसके 5 बच्चे, देखिए क्या हुआ हाल

कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए 2021 में दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा था। इस दौरान कई लोगों का...
अलीगढ़:  लॉकडाउन ने छिना रोजगार, खाने के लिए 2 महीने तरसते रहे महिला और उसके 5 बच्चे, देखिए क्या हुआ हाल

कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए 2021 में दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा था। इस दौरान कई लोगों का रोजगार छिन गया। राहत पहुंचाने के लिए कई समाजसेवियों ने गरीबों की मदद के लिए खाने के पैकेट पहुंचाए थे, लेकिन तब भी कई परिवार ऐसे थे जो दाने-दाने को मोहताज हो गए थे। ऐसा ही रोंगटे खड़े करने वाला एक मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सामने आया है। जहां एक परिवार दो महीने से भूखा था। तबीयत बिगड़ने पर 5 बच्चे और महिला सहित पूरे परिवार को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस मुश्किल दौर में किसी परिवार का भूखा रहना और खाने के लिए तरसना मानवता को शर्मशार कर देता है।

आजतक की खबर के मुताबिक महिला की बेटी और दामाद को परिवार के बारे में जानकारी होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार के सदस्य बहुत ही गंभीर हालत में मलखान सिंह जिला अस्पताल में लाए गए थे। उसके बाद इसकी सूचना किसी तीमारदार द्वारा एनजीओ को दी गई जिसके बाद उनकी टीम ने अस्पताल में पहुंच कर इन जरूरतमंद लोगों की मदद की।

अस्पताल में भर्ती 40 साल की महिला ने बताया कि दो महीने पहले परिवार को पालने वाले उनके पति की मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरा परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया। उसके परिवार में चार लड़के और एक लड़की है, जिसकी उम्र महज 13 साल है। उसका एक बेटा 20, दूसरा 15, तीसरा 10 और चौथ सबसे छोटा बेटा 5 साल का है।

महिला ने आगे बताया कि 2020 पिछले लॉकडाउन से पहले ही गंभीर बीमारी के कारण उसके पति की मौत हो गई थी। जिसके बाद वह 4 हजार रुपये प्रति महीने में एक फैक्ट्री में काम करने लगी। लॉकडाउन के बाद फैक्ट्री बंद गई और महिला बेरोजगार हो गई। धीरे-धीरे हालात कुछ यू हो गए कि परिवार लोगों द्वारा दिए जाने वाले पैकेट पर निर्भर हो गया। लॉकडाउन के खुलने के बाद घर के बड़े बेटे ने मजदूरी का काम शुरू किया, लेकिन हालात इतने आसान नहीं थे जब उसे मजदूरी मिल जाती तब खाने की व्यवस्था हो जाती और जब नहीं मिलती तो परिवार को भूखा ही रहना पड़ता था।

भूखा करने की वजह से परिवार के सदस्य कमजोर होते गए। जिसके कारण बच्चों की तबीयत खराब होने लगी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बेटे को काम मिलना बंद हो गया। स्थिति और बदतर हो गई। आस पास के पड़ोसी जो भी खाने के लिए देते बस उसी में उनका गुजारा चल रहा था। और जब कभी खाने को अन्न का एक भी दाना नहीं होता तो परिवार पानी पी कर ही अपना पेट भर लेता था।

इस मामले में मलखान सिंह जिला अस्पताल की इमरजेंसी इंचार्ज अमित का कहना है कि एक महिला और उसके पांच बच्चों को वार्ड नंबर 8 में भर्ती कराया गया है। पिछले 10 दिनों से उन्होंने कुछ खाया नहीं था जिसकी वजह से उनकी हालत इतनी बिगड़ गई। फिलहाल अस्पताल में इनका इलाज चल रहा है। 3 बच्चे गंभीर हालत में हैं, उन्हें ठीक होने में वक्त लगेगा।

 

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