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विधानसभा चुनाव: दिग्गजों के पाला बदलने से अंबेडकर नगर में कठिन हुई बसपा की डगर

अरसे तक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की 'दलित प्रयोगशाला' के तौर पर देखे गए अंबेडकर नगर में इस बार बसपा के ही...
विधानसभा चुनाव: दिग्गजों के पाला बदलने से अंबेडकर नगर में कठिन हुई बसपा की डगर

अरसे तक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की 'दलित प्रयोगशाला' के तौर पर देखे गए अंबेडकर नगर में इस बार बसपा के ही कई वरिष्ठ विधायकों के समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने से जिले में बसपा की डगर मुश्किल होती नजर आ रही है।

बसपा मुखिया मायावती ने वर्ष 1995 में अपने मुख्यमंत्री काल में फैजाबाद (अब अयोध्या) जिले को काटकर अंबेडकर नगर बनाया था। उसके बाद से काफी समय तक यह जिला बसपा का मजबूत किला बना रहा। खुद मायावती यहां से छह बार सांसद चुनी गईं।

राज्य विधानसभा में बसपा विधायक दल के नेता और मायावती के बेहद विश्वासपात्र वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा तथा बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर विधानसभा चुनाव से ऐन पहले समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए। इसके अलावा बसपा के ही पूर्व सांसद राकेश पांडे भी हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो गए और अब यह तीनों सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे जिले में सपा की स्थिति मजबूत हुई है।

अंबेडकर नगर में पांच विधानसभा सीटें हैं जिनमें कटेहरी, अकबरपुर, जलालपुर, टांडा और आलापुर शामिल हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में सपा ने इन पांचों सीट पर जीत हासिल की थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर के बावजूद बसपा यहां तीन सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि भाजपा के हिस्से में दो सीटें गई थीं। अंबेडकर नगर में राज्य विधानसभा चुनाव के छठे चरण के तहत तीन मार्च को मतदान होगा।

जहां बसपा का कहना है कि पार्टी से 'गद्दारों' के चले जाने से जिले में उसकी चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यह दावा कर रहे हैं कि इस बार समाजवादी और आंबेडकरवादी दोनों मिलकर भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने की कवायद में जुट गए हैं।

लालजी वर्मा एक बार फिर कटेहरी सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उन्हें बसपा के प्रतीक पांडे से चुनौती मिल रही है। भाजपा ने यह सीट अपनी सहयोगी निषाद पार्टी को दी है जिसने यहां अवधेश कुमार को मैदान में उतारा है।

इसी तरह अकबरपुर सीट से मौजूदा विधायक राम अचल राजभर इस बार सपा के टिकट पर एक बार फिर मैदान में हैं। यहां बसपा ने चंद्र प्रकाश वर्मा को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने धर्मराज निषाद पर दांव लगाया है।

अंबेडकर नगर से बसपा के पूर्व सांसद राकेश पांडे इस बार जलालपुर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वह पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के विधायक चुने गए थे जहां उन्हें बसपा के राजेश सिंह और भाजपा के सुभाष राय से चुनौती मिल रही है।

टांडा और आलापुर में भी सपा, भाजपा और बसपा के बीच कड़ी टक्कर है। यहां कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। प्रदेश के पूर्व मंत्री और मौजूदा सपा उम्मीदवार लालजी वर्मा ने न्यूज़ एजेंसी 'पीटीआई' से बातचीत में दावा किया, “इस बार मैं पिछली बार के मुकाबले ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीतूंगा और 25,000 के आंकड़े को पार करूंगा।” उन्होंने कहा कि इस बार चुनावी माहौल में भाजपा सरकार के कुशासन, किसानों की समस्याओं, छुट्टा पशुओं से होने वाली मुसीबत, बेरोजगारी तथा महंगाई के मुद्दे प्रमुख हैं।

कटेहरी सीट से निषाद पार्टी द्वारा अवधेश कुमार वर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने के बारे में पूछने पर वर्मा ने कहा, “इस बार सपा ही प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है और इसमें कोई शक नहीं है। सपा को समाज के सभी वर्गों का सहयोग मिल रहा है।”

उधर, जलालपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी सुभाष चंद्र राय ने दावा किया कि भाजपा इस बार अंबेडकर नगर की सभी सीटों पर चुनाव जीत रही है।

एक दवा कारोबारी मोनू सिंह ने चुनावी माहौल के बारे में पूछने पर बताया कि इस बार जिले में प्रमुख दलों के बीच बहुत कड़ी टक्कर है। ऊंट किस करवट बैठेगा यह कह पाना बहुत मुश्किल है। मगर लालजी वर्मा के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद जिले में सपा जरूर मजबूत दिखाई दे रही है।

हालांकि एक अन्य स्थानीय निवासी लवकुश श्रीवास्तव का कहना है कि इस बार चुनाव में सपा, बसपा और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है और टक्कर बेहद कांटे की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014, 2017 और 2019 में यहां भाजपा की लहर थी लेकिन इस बार यहां ऐसी कोई लहर नहीं दिखाई दे रही है।

चुनाव आयोग के मुताबिक अंबेडकर नगर जिले की आलापुर और टांडा सीट पर 13-13 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि अकबरपुर और जलालपुर में 12-12 तथा कटेहरी सीट पर 10 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

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