उत्तर प्रदेश के चर्चित हाथरस गैंगरेप केस की सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़िता के परिवार के सदस्य इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के सामने पेश हुए। परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि उनकी सहमति के बिना आधी रात को पीड़िता का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान परिवार ने अदालत से राज्य के बाहर मुकदमा चलाने का आग्रह किया।
हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्सर और पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने अदालत को बताया कि पीड़ित के शव का अंतिम संस्कार करने का फैसला स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा लिया गया था और राज्य सरकार की ओर से कोई निर्देश या दबाव नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि यह उस समय कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया गया था। अब इस मामले में अगली सुनवाई 2 नवंबर को होनी है।
कथित तौर पर गैंगरेप के दो सप्ताह बाद दिल्ली में एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी। इस घटना से पूरे देश में व्यापक आक्रोश फैल गया।
बता दें कि सुनवाई के दौरान यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एच सी अवस्थी और अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार भी अदालत में पेश हुए।
अदालत द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील जे एन माथुर ने तर्क दिया कि प्रत्येक नागरिक को अपनी धार्मिक प्रथाओं के अनुसार गरिमा के साथ अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने अदालत से मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि 1 अक्टूबर को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए, अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था, जिलाधिकारी हाथरस और पुलिस अधीक्षक हाथरस को तलब किया था। न्यायालय ने मृतक पीड़िता के मां-पिता, भाई व बहन को भी हाजिर होने को कहा था, ताकि अंतिम संस्कार के संबंध में उनके द्वारा बताए तथ्यों को भी जाना जा सके। वहीं न्यायालय ने अधिकारियों को मामले से संबधित दस्तावेज इत्यादि लेकर उपस्थित होने का आदेश दिया था।