हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप और फिर उनकी मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सख़्त टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देखा है कि कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद हाथरस पीड़िता की मौत के बाद उसका देर रात अंतिम संस्कार मानवाधिकारों का उल्लंघन था जिसके लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश की योगी सरकार को निर्देश दिए हैं कि हाथरस जैसे हालात में शवों का अंतिम संस्कार किस तरह किया जाए, इसको लेकर वो एक नियम बनाएं। साथ ही, इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए, अदालत ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों, राजनीतिक दलों और अन्य सभी को इस पर सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान देने से बचने का निर्देश दिया।
साथ ही, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने भी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से अपेक्षा की कि वे इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने और परिचर्चा करते वक्त बेहद एहतियात बरतेंगे। यह आदेश मंगलवार को जारी किया गया था, जब पीठ ने पीड़िता के परिवार और सरकारी अधिकारियों की सुनवाई की थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार हाईकोर्ट ने कहा है कि रात के अंधेरे में लड़की का अंतिम संस्कार करना लड़की और उनके परिवार दोनों के मानवाधिकार का उल्लंघन है।
14 सितंबर को हाथरस जिले में उसके गांव के चार लोगों द्वारा कथित बलात्कार के बाद दिल्ली के अस्पताल में 19 वर्षीय दलित महिला की मृत्यु हो गई। पीड़िता की मौत के बाद गांव में आधी रात को उसका अंतिम संस्कार किया गया। परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पीड़िता का अंतिम संस्कार आधी रात को बिना उनकी सहमति के किया गया और उन्हें अंतिम बार उसे घर लाने की अनुमति भी नहीं थी। इस घटना से पूरे देश में व्यापक आक्रोश फैल गया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया।