उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने यूपी सरकार से 4 अप्रैल तक इस मामले में जवाब मांगा था। सभी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
यूपी सरकार तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि यह एक जघन्य अपराध है। हालांकि उन्होंने साथ ही कहा कि उनसे किसी को खतरा नहीं है। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। हालांकि, उनका कहना है कि आरोपी आशीष मिश्रा के भागने का जोखिम नहीं है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एडवोकेट सीएस पांडा और शिव त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट से आशीष मिश्रा की जमानत याचिका की अर्जी खारिज करने की मांग की। यूपी सरकार के वकील ने कहा कि हमें इस मामले की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट मिली है और हमने इसे राज्य सरकार को भेज दिया है। इसपर चीफ जस्टिस एन वी रमन ने कहा कि आपने ये नहीं बताया कि चिट्ठी कब लिखी गई थी। ये ऐसा मामला नहीं है कि आप इतना इंतजार करें।
चीफ जस्टिस एन वी रमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ ने 30 मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार को आशीष की जमानत रद्द करने के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की निगरानी कर रहे एक रिटायर जस्टिस की दो रिपोर्ट पर चार अप्रैल तक जवाब देने का निर्देश दिया था।
इससे पहले, राज्य सरकार ने कहा था कि जमानत देने को चुनौती देने का निर्णय संबंधित अधिकारियों द्वारा विचाराधीन है। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस राकेश कुमार जैन को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश की एसआईटी की जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया था। पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थे, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे।