लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। साथ ही, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि गवाहों के बयान तेजी से दर्ज किए जाएं। कोर्ट ने यूपी सरकार से लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और एक श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर जवाब दाखिल करने को भी कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाहों की सुरक्षा भी जरूरी है। हमने राज्य सरकार की तरफ से दाखिल रिपोर्ट देखी है। जांच में प्रगति हुई है। हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं। सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और गरिमा प्रसाद की ओर से सीआरपीसी की धारा 164 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अन्य प्रासंगिक गवाहों के बयान दर्ज करने को कहा।
पीठ ने कहा, "हम संबंधित जिला न्यायाधीश को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत साक्ष्य दर्ज करने का काम निकटतम न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपने का निर्देश देते हैं।" कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर उसकी चिंताओं से फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को अवगत कराने और इसमें तेजी लाने को कहा।
इस बीच, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से दो शिकायतों पर भी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा, जिनमें एक पत्रकार की पीट-पीटकर हत्या करने की शिकायत भी शामिल है।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसक घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और पिछली सुनवाइयों में जांच में असंतोषजनक एक्शन के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई भी की। इस मामले में केंद्रीय मंत्री का बेटा भी मुख्य आरोपियों में शामिल है।