बहुजन समाज पार्टी के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने फर्जी कागजात के जरिये शस्त्र लाइंसेंस हासिल करने के मामले में मुख्तार अंसारी पर आरोप तय कर दिए हैं।
पिछले कई वर्षों से लगातार जेल में बंद मुख्तार अंसारी के विरुद्ध विशेष न्यायालय ने 34 वर्ष पूर्व हुई घटना के मामले में आरोप तय किए। वीडियो कांफ्रेंसिंग से पढ़कर सुनाए और समझाने के बाद मुख्तार अंसारी ने आरोपों से इनकार किया और गवाहों को पेश कराने की मांग की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल में बंद मुख्तार अंसारी को बताया कि 10 जून 1987 को आपके द्वारा दुनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया गया था। इस पर जो रिपोर्ट लगी, वह फर्जी थी तथा तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक रंजन के फर्जी हस्ताक्षर कूट रचना करके शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया गया। इस कार्य के लिए कर्मचारियों के साथ भी साजिश की गई और उन्हें लाभ दिया गया जो कि भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के अंतर्गत भी दंडनीय है और इस न्यायालय के संज्ञान में है। मुख्तार अंसारी ने आरोपों से इनकार कर दिया और अदालत से मांग की कि मामले का परीक्षण कराया जाए।
34 साल पुराना है मामला
मुख्तार अंसारी पर आरोप है कि साल 1987 में उन्होंने फर्जी कागजात और डीएम के जाली दस्तखत बनाकर गलत तरीके से बंदूक का लाइसेंस हासिल किया था। मुख्तार ने शस्त्र लाइसेंस के लिए 10 जून 1987 को आवेदन किया था। जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। लंबे अरसे से यह मामला अलग-अलग अदालतों में लटका रहा। कुछ सालों पहले यह मामला प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ट्रांसफर हो गया। स्पेशल कोर्ट के जज आलोक कुमार श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में मुख्तार पर आरोप तय किए।
बांदा जेल में है मुख्तार
बता दें कि मुख्तार अंसारी इन दिनों यूपी की बांदा जेल में बंद है। योगी सरकार की सख्ती के बाद मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमों में अब तेजी देखने को मिल रही है। प्रयागराज में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अपर शासकीय अधिवक्ता यानी एडीजीसी क्रिमिनल राजेश कुमार गुप्ता के मुताबिक इस मुक़दमे का ट्रायल जल्द ही शुरू हो सकता है।