उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से फिल्म सिटी तक लाइट ट्रांजिट रेल (एलआरटी) के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और उसे केंद्रीय शहरी आवासन मंत्रालय को भेज दिया गया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा आने वाले लोगों की यात्रा सुगम बनाने के लिए ‘नमो भारत’ और ‘मेट्रो लाइन’ के ट्रैक पर अब लाइट ट्रांजिट रेल (एलआरटी) भी दौड़ेगी।
उन्होंने बताया कि फिल्म सिटी से हवाई अड्डा तक पूर्व प्रस्तावित ‘पॉड टैक्सी’ की जगह एलआरटी का संचालन होगा। करीब 14 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर एलआरटी संचालन के लिए प्रदेश सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसका प्रस्ताव भारत सरकार के केंद्रीय शहरी आवासन मंत्रालय को भेज दिया गया है और उम्मीद है कि आने वाले दो-तीन महीनों में परियोजना पर कार्य शुरू हो जाएगा।
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) की बृहस्पतिवार को हुई बोर्ड बैठक में चेयरमैन अनिल सागर के समक्ष हवाई अड्डा से गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और नोएडा को जोड़ने वाली परियोजनाओं पर प्रस्तुति दी गई। इसमें बताया गया कि दो चरणों में प्रस्तावित, गाजियाबाद से हवाई अड्डा के बीच ट्रैक का निर्माण अब एक साथ किया जाएगा।
पूर्व योजना के अनुसार, पहले चरण में गाजियाबाद के सिद्धार्थनगर से इकोटेक-6 तक 39.39 किलोमीटर लंबा ट्रैक और दूसरे चरण में इकोटेक-6 से हवाई अड्डा तक 32.90 किलोमीटर लंबा ट्रैक बनना था। पूरी तरह से ‘एलिवेटेड ट्रैक’ पर ‘नमो भारत’ 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर तय करेगी।
अधिकारी ने बताया कि परियोजना को पूरा करने के लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार 20-20 फीसदी का अंशदान करेंगी। इसके निर्माण में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) लागत का 60 फीसदी खर्च करेगा। एनसीआरटीसी की असमर्थता पर धनराशि की व्यवस्था गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास प्राधिकरण और नोएडा इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (नायल) करेगा।
यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुण वीर सिंह ने बताया कि एक ही ट्रैक पर ‘नमो भारत’, ‘मेट्रो’ और ‘एलआरटी’ संचालन के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके लिए 14.6 किलोमीटर का अलग ट्रैक बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ‘लाइट ट्रांजिट रेल’ 21 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।
सिंह ने बताया कि हर मेट्रो के बीच सेवा का अंतराल 3.5 मिनट, रैपिड रेल के बीच यह अंतराल सात मिनट और एलआरटी के लिए सेवा का अंतराल आठ मिनट रहेगा। उन्होंने बताया कि परियोजना पर करीब 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।