विकास दुबे एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार द्वारा बनाये गये जाँच समिति के सदस्य पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता के नाम पर विरोध शुरू हो गया है। इसी मामले में एक याचिकाकर्ता अनूप प्रकाश अवस्थी ने एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर गुप्ता का नाम शामिल जाने का विरोध किया है।
याचिकाकर्ता अनूप अवस्थी ने पूर्व डीजीपी द्वारा बीते 10 जुलाई को दिए एक बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि हमें पुलिस की बात पर भरोसा करना चाहिए। हर बार हम नकारात्मक सोच के साथ ही शुरूआत क्यों करते हैं कि एनकाउंटर किए नहीं जाते हो जाते हैं। याचिकाकर्ता श्री अवस्थी ने एक चैनल को दिए बयान का भी हवाला देते हुए जांच समिति को पुनर्गठित करने और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को समिति से हटाने की मांग की है।
अनूप अवस्थी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाये गये आयोग पर हमें पूरा भरोसा है। क्योंकि इनकाउंटर के बाद पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता का पुलिस के पक्ष में बयान आना और फिर उन्हें ही उप्र सरकार द्वारा जाँच समिति में रखने से लग रहा था कि जाँच निष्पक्ष नहीं हो पायेगी।
राजनीति दलों ने केएल गुप्ता पर उठाये सवाल -
जाँच समिति पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं विधायक अजय कुमार लल्लू कहते हैं कि जाँच इन विषयों पर भी होनी चाहिए कि उस कुख्यात अपराधी से सरकार के किन-किन मंत्रियों-विधायकों व आईएएस-आईपीएस से व्यावसायिक सम्बंध थे ? जाँच में यह भी सामने आना चाहिए कि पंचम तल और गृह विभाग के अधिकारियों के साथ उसका वीडियो/फोटो मिलना इत्तेफाक नहीं है। मुझे लगता है कि इस मुठभेड़ में पूरे प्रकरण की जाँच होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गाँधी जाँच समिति पर प्रश्न उठाया और कहा कि इस कमेटी से निष्पक्ष जाँच की उम्मीद नहीं है। समिति के प्रमुख सदस्य पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता पहले ही मुठभेड़ को सही बता चुके हैं लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इन सदस्यों पर फिर से विचार करे। इससे पहले भी चल रही एसआईटी जाँच के प्रमुख सदस्य आईपीएस जे. रविन्द्र गौड़ पर पहले से ही फेक इन्काउन्टर की सी.बी.आई. जाँच चल रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से इस कमेटी को बदलने की अपील करता हूँ।
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्र ने कहा कि पूरे प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली को देखकर लग रहा है कि यह इनकाउंटर प्री-डिसाइडेड था, विकास को कोर्ट नहीं पहुँचने देना है। इसमें तो कार्यपालिका ने ही न्यायपालिका का कार्य कर दिया, अब व्यवस्थापिका को क्या कहें ? ऐसे में निष्पक्ष जाँच की उम्मीद कम प्रतीत हो रही है। सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि जाँच कमेटी को और सुदृढ़ बनाये।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में यह आयोग बनाया गया है। इसी में यूपी के पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को भी शामिल किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस शशिकांत अग्रवाल जांच आयोग में शामिल हैं।
दो दिन पूर्व विकास दुबे इनकाउंटर मामले पर सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार को नसीहत दी और कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि ऐसी घटना दोबारा ना हो। कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जांच समिति की भी सहमति दिया। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज रहे बीएस चौहान और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को शामिल किया गया। यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि जांच समिति में जस्टिस बीएस चौहान और पूर्व डीजी केएल गुप्ता को शामिल किया जाएगा और जस्टिस चौहान ही समिति की अध्यक्षता भी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह इस मामले से जुड़ी जांच को अगले एक हफ्ते में शुरू करें और आने वाले दो महीने में इसे पूरा करें।
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि विकास दुबे पर इतने मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे जमानत क्यों दी गई। कोर्ट ने यूपी सरकार से रिकॉर्ड तलब किया और कहा है कि विकास दुबे पर गंभीर अपराध के अनेक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी वह जेल से बाहर था। यह सिस्टम की विफलता है। कोर्ट ने यूपी सरकार को भी नसीहत देते हुए कहा था कि एक राज्य तौर पर आपको कानून के शासन को बनाए रखना होगा। ऐसा करना आपका कर्तव्य है।