अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2025 से पहले पूरा नहीं हो पाएगा, हालांकि भक्तों को दिसंबर 2023 तक आंशिक रूप से निर्मित मंदिर में जाने और प्रार्थना करने की अनुमति दी जा सकती है। सूत्रों ने बताया कि मंदिर का निर्माण कार्य योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2023 के अंत तक भक्तों को भगवान राम के दर्शन का अवसर मिल सकेगा।
भव्य परियोजना का विवरण साझा करते हुए सूत्रों ने कहा कि मुख्य मंदिर में तीन मंजिल और पांच 'मंडप' होंगे। मंदिर की लंबाई 360 फुट, चौड़ाई 235 फुट और हर मंजिल की ऊंचाई 20 फुट होगी।
सूत्रों ने बताया कि मंदिर के भूतल पर 160, पहली मंजिल पर 132 और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ होंगे। गर्भगृह का शीर्ष भूतल से 161 फीट की ऊंचाई पर होगा और इसका निर्माण राजस्थान के पत्थर और संगमरमर से किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि पिछले तीन दशकों में हुए परिवर्तनों और भक्तों की आकांक्षाओं को देखते हुए मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए 5 फरवरी, 2020 को लोकसभा में श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा निर्माण समिति के अध्यक्ष हैं। मंदिर का निर्माण पिछले साल एक धार्मिक समारोह के बाद शुरू हुआ था जिसमें मोदी ने भाग लिया था।
सूत्रों ने बताया कि निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ट्रस्ट के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्राचीन मंदिरों की तर्ज पर लंबी उम्र के लिए मंदिर के डिजाइन और ड्राइंग को अंतिम रूप देना था। जिसके लिए ट्रस्ट ने फैसला किया कि इसके निर्माण में स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
सूत्रों ने आगे बताया कि उन्होंने कहा कि मास्टरप्लान में 'कुबेर टीला' और 'सीता कूप' जैसी विरासत संरचनाओं के संरक्षण और विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
अन्य संरचनाओं में तीर्थ सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, 'गौ शाला', 'यज्ञ शाला', प्रशासनिक भवन और 'संत निवास' शामिल हैं।