उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भड़की हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम रविवार को हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा कर रही है। टीम ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया। इसके बाद जामा मस्जिद के अंदर जाकर स्थिति देखी। इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी और 19 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
24 नवंबर को कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व में जामा मस्जिद का सर्वे करने के दौरान स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। पुलिस के बल प्रयोग के बाद भीड़ ने पथराव और फायरिंग की। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव बना हुआ है।
29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि जामा मस्जिद से संबंधित मुकदमे में तब तक कोई कार्रवाई न की जाए, जब तक मस्जिद कमेटी द्वारा सर्वे आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई न हो जाए।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा को अध्यक्ष, पूर्व डीजीपी एके जैन और रिटायर्ड अपर मुख्य सचिव अमित मोहन को सदस्य बनाया गया है।
शनिवार को आयोग के सदस्य मुरादाबाद सर्किट हाउस पहुंचे, जहां मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह, डीआईजी मुनिराज जी और एसएसपी सतपाल अंतिल ने उनसे मुलाकात कर घटना की जानकारी दी। रविवार को टीम ने शाही जामा मस्जिद और आसपास के हिंसाग्रस्त इलाकों का निरीक्षण किया। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। संसद में भी इस घटना को लेकर हंगामा हुआ।