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उत्तर प्रदेश: शिया वक्‍फ बोर्ड के पूर्व चेरयमैन वसीम रिजवी के खिलाफ CBI ने दर्ज की FIR, जानें क्या है पूरा मामला

योगी सरकार ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में हुए घोटाले और उनके पूर्व  चेयरमैन वसीम रिजवी की भूमिका को...
उत्तर प्रदेश: शिया वक्‍फ बोर्ड के पूर्व चेरयमैन वसीम रिजवी के खिलाफ CBI ने दर्ज की FIR, जानें क्या है पूरा मामला

योगी सरकार ने शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में हुए घोटाले और उनके पूर्व  चेयरमैन वसीम रिजवी की भूमिका को लेकर के सरकार बनते ही इस पूरे मामले पर सीबीआई जांच का अनुरोध किया था। करीब 2 साल के लंबे समय के बाद आखिरकार इसमें सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है और इस एफआईआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के साथ चार अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है ।

यह सेंट्रल वक्फ बोर्ड के संपत्ति को लेकर के धोखाधड़ी और घोटाला इन सब को लेकर के सीबीआई के पास जांच की सिफारिश की गई थी इसमें कई अन्य जिलों में भी घोटाले को लेकर के एफ आई आर दर्ज हुई थी सबसे पहले एफआईआर प्रयागराज में अगस्त 2016 में कोतवाली में दर्ज कराई गई थी जिसमें यह आरोप लगाया था कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी ने इमामबाड़ा गुलाम हैदर ,त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड इन सब जगह पर अवैध दुकानों का निर्माण शुरू कराया था पुराने भवनों को तोड़कर के अवैध निर्माण शुरू किया था। जिसे बाद में बंद करा दिया गया था। लेकिन बाद में फिर इसे शुरू करा दिया इस मामले को लेकर के अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने अर्जी वसिम रिजवी को नामजद किया और  2016 को एक एफआईआर दर्ज कराई थी। वही सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन, संपत्ति को लेकर के दूसरी एफ आई आर हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को हुई थी । इसमें रिजवी और वक्फ बोर्ड के ऊपर और उनके अधिकारियों पर ही आरोप लगाया गया था कि ₹27 करोड  लेकर के कानपुर के बोर्ड की कीमती संपत्ति को, उसके पंजीकरण को निरस्त करने और पत्रावली के महत्वपूर्ण कागजात गायब कराने में हाथ था। इसमें रिजवी के अलावा अन्य लोग भी शामिल थे दोनों ही एफआईआर में सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पर यह आरोप है कि जमीन का लाभ उन्होंने अपने नजदीकी लोगों को दिया और जब सीबीआई की एफ आई आर उन पर हो गई है।  उनके साथ वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम , निरीक्षक बाकर रजा को भी आरोपी बनाया है। यह एफआईआर. सीबीआई ने प्रयागराज और लखनऊ के एफआईआर के आधार पर किया है।

इसमें खास बात यह है कि पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी यह वही शख्स हैं जब 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की सरकार थी तो भी वह सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन हुए और आजम खान के साथ उनकी नजदीकियां हमेशा बनी हुई थी लेकिन जैसे ही सरकार बदली योगी सरकार के आते ही उनके सुर बदल गए और वह लगातार मौलानाओं के विरोध में बयान देने लगे सीएए को लेकर के उन्होंने मुस्लिम नेताओं को लताड़ा और अखिलेश यादव के समय वसीम रिजवी जो  एकदम बदल गए और न सिर्फ और राम भक्तों के रूप में योगी सरकार में दिख रहे थे बल्कि कई  प्रकरण पर उन्होंने मुसलमान नेताओं को आड़े हाथों लिया अयोध्या में कई तरीके के दान करने की बातें भी की और समय-समय पर मीडिया में सुर्खियों में आने के लिए उन्होंने कई विवादित फिल्में भी बनाई डॉक्यूमेंट्री बनाई और शायद उनको लगता था उनके खिलाफ जो आरोप लगे हैं जो एफआईआर पहले हुई हैं सरकार उन पर जांच ना कराए लेकिन अब सीबीआई की जांच बैठ गई है उनके ऊपर एफ आई आर दर्ज हो गई है और वक्फ बोर्ड के मंत्री मोहसिन रजा कहते हैं कि इस तरह की आरोपों की शिकायतें अलग-अलग जगहों से उन लोगों को प्राप्त होती रहे बड़े मुस्लिम मौलानाओं से उनको कुछ शिकायतें मिलती रही और उन्हीं सब का परिणाम है कि आखिरकार पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के समय शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति और अवैध निर्माण और अपने लोगों को लाभ पहुंचाने की इन आरोपों के साथ सीबीआई जांच शुरु  हो गई है।

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