- चंदन बंगारी
रामनगर (नैनीताल)। जिम कार्बेट नेशनल पार्क के समीप स्थित जीतपुर टांडा गांव में आतंक का पर्याय बने गुलदार को 8 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा जा सका। पकड़े जाने से पहले गुलदार एक वनकर्मी सहित चार लोगों पर हमला कर जख्मी कर चुका था। रेशक्यू के दौरान गुलदार के मुंह और अन्य हिस्से भी जख्मी हो गए थे। वनकर्मियों ने गुलदार को रेशक्यूं सेंटर रानीबाग हल्द्वानी भेज दिया है। गुलदार के पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों के साथ ही वनकर्मियों ने भी राहत की सांस ली है।
गन्ने के खेतों में हमला
जीतपुर टांडा गांव में किसान सुखदेव चैधरी अपने खेत में पानी लगा रहा था। इसी बीच गन्ने के खेत में बैठे गुलदार ने सुखदेव पर हमला कर दिया। आसपास के लोगों ने शोर मचाया तो गुलदार सुखदेव को छोड़क गन्ने के खेत में घुस गया। गुलदार के गन्ने के खेत में होने की सूचना आग की तरह ग्रामीणों में फैल गई। देखते ही देखते खेत के आसपास भारी भीड़ जमा हो गई और ग्रामीणों ने शोर मचाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों की धमकी के बाद जागे अफसर
ग्रामीणों ने गुलदार की सूचना तत्काल वन विभाग के अफसरों को दी थी। लेकिन सूचना देने के दो घंटे बाद महज दो ही वनकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे थे। जिन्हें देखकर ग्रामीणों का पारा चढ़ गया। ग्रामीणों ने गुलदार को खेत में ही जला देने की धमकी तो वनकर्मियों के हाथ पांव फूल गए। जिसके बाद एसडीओ सहित तमाम वनकर्मी पिंजरे और जाल के साथ पहुंच गए।
8 घंटे तक चला अभियान
वनकर्मियों ने गन्ने के खेत में छिपे गुलदार को पकड़ने के लिए 8 घंटे तक पसीना बहाया। रेशक्यू के लिए ट्रैक्टर के साथ ही बाजपुर से राय सिखों को भी बुलाया गया था। ग्रामीणों के शोरगुल की वजह से गुलदार गन्ने के बीच दुबका रहा। इसी बीच एक वनकर्मी बसंत बल्लभ पंत ने गन्ने के खेत में जाल लगाने की कोशिश की तो गुलदार ने झपटटा मारकर उसे भी जख्मी कर दिया। रेशक्यू आॅपरेशन के दौरान जगतार और अन्य युवक को भी गुलदार ने हमला कर जख्मी कर दिया था। काफी मशक्कत के बाद भी जब गुलदार काबू में नहीं आया तो वनकर्मियों ने खेत के एक तरफ जाल लगाया और दूसरी तरफ से हांका लगाया। जिसके बाद गुलदार जाल में फंस गया। जाल में फंसे गुलदार को पिंजरे में डालने के लिए वनकर्मियों को डंडों का सहारा लेना पड़ा। उसे जिंदा पकड़कर रेशक्यू सेंटर भेज दिया गया। इस मादा गुलदार की उम्र 3 से 4 साल बताई जा रही है। एसडीओ कलम सिंह बिष्ट ने बताया कि गुलदार भी थोड़ा जख्मी हुआ है।
दो महीने पहले भी बाघ ने मचाई थी दहशत
कार्बेट पार्क से सटे गांवों में वन्यजीवों की धमक की पहली घटना नहीं है। मार्च मध्य में छोई गांव के समीप बाघ ने दो लोगों को निवाला बना दिया था। आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए कईं घंटों तक रेशक्यू अभियान चला था। जिसके बाद उसे पकड़ने में कामयाबी मिल गई थी। लेकिन गहरे जख्म होने की वजह से उसी रात बाघ ने दम तोड़ दिया था। बाघ को रेशक्यू करने के तरीकों पर सवाल उठे तो एनटीसीए यानि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने जांच भी बिठाई थी। जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है।