Advertisement

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग की नोटिस की पुष्टि की, कहा- ‘आवश्यक कदम उठाएंगे’

राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को पुष्टि की कि उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के...
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग की नोटिस की पुष्टि की, कहा- ‘आवश्यक कदम उठाएंगे’

राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को पुष्टि की कि उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग के लिए 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस प्राप्त हुई है। उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन घोषणा की, “मुझे जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए वैधानिक समिति गठित करने की नोटिस मिली है। यह नोटिस आज मुझे प्राप्त हुई और यह 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित है, जो हाईकोर्ट जज को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की संख्यात्मक आवश्यकता को पूरा करता है।” धनखड़ ने सचिव-महासचिव को इस दिशा में “आवश्यक कदम” उठाने का निर्देश दिया।

यह नोटिस मार्च 2025 में जस्टिस वर्मा के दिल्ली के लुटियंस क्षेत्र स्थित आधिकारिक आवास पर आग लगने के बाद नकदी का जखीरा मिलने के बाद शुरू हुए विवाद से जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने वर्मा और उनके परिवार को स्टोररूम पर नियंत्रण रखने का दोषी पाया, जिसे गंभीर कदाचार माना गया। इसके बाद वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित किया गया और उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि 152 लोकसभा सांसदों ने भी लोकसभा अध्यक्ष को इसी तरह का प्रस्ताव सौंपा है। धनखड़ ने कहा कि दोनों सदनों में प्रस्ताव आने से जज (जांच) अधिनियम की धारा 3(2) लागू होगी। नोटिस पर हस्ताक्षर करने वालों में बीजेपी, कांग्रेस, टीडीपी, जेडी(यू), जेडी(एस), शिवसेना, और सीपीआई(एम) के सांसद शामिल हैं, जिनमें राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, रविशंकर प्रसाद और सुप्रिया सुले जैसे नेता हैं।

जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाया, दावा किया कि उन्हें सबूतों तक पहुंच नहीं दी गई और उनके बयान के बिना ही निष्कर्ष निकाला गया। धनखड़ ने पहले भी इस मामले में FIR न दर्ज होने पर सवाल उठाए, कहते हुए कि यदि यह किसी आम नागरिक के घर हुआ होता, तो जांच तेजी से होती। उन्होंने न्यायपालिका की पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा, “न्यायपालिका में जनता का विश्वास अडिग होना चाहिए।” यह मामला संसद में गहन बहस का विषय बनेगा

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad