पंजाब में कपास की फसलों पर कीट का प्रकोप किसानों की बर्बादी की वजह साबित हो रहा है। मुआवजे की मांग कर रहे किसानों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 26 साल के कुलदीप सिंह का शव पंजाब के बठिंडा जिले में बरामद हुआ है। पुलिस को संदेह है कि उसने आत्महत्या की है। बताया जाता है कि उसने कल रात कोई नशीला पदार्थ खा लिया था।
बंठिडा के पुलिस अधीक्षक नानक सिंह ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक कुलदीप ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल पाएगा। बताया जाता है कि कुलदीप कीटों के हमले से बर्बाद हुई फसल के मुआवजे के लिए अनिश्चितकालीन धरने में भी शामिल हुआ था। पंजाब में किसान प्रति एकड़ 40 हजार रूपए और खेतीहर मजदूरों के लिए प्रति एकड़ 20 हजार रूपए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, कुलदीप सिंह कीटों के हमलों के कारण अपनी कपास की फसल बर्बाद होने से काफी तनाव में था। गौरतलब है कि पंजाब के अलावा हरियाणा में भी कपास की खेती पर सफेद कीटों की मार पड़ी है।
मध्य प्रदेश के बैतूल में सोयाबीन की फसल खराब होने से दुखी एक आदिवासी किसान ने भी आत्महत्या कर ली है। पीला मोजेक नामक बीमारी की वजह से इस किसान की 20 एकड़ में खड़ी सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई थी। इससे परेशान आदिवासी किसान ने मंगलवार रात कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने किसान द्वारा आत्महत्या करने के कारणों का खुलासा नहीं किया है और न ही फसल खराब होने की वजह से आत्महत्या करने की पुष्टि की है।
आत्महत्या करने वाले किसान सतीश मावसकर के पिता काड़मा मावसकर ने संवाददाताओं को बताया कि सतीश मंगलवार की रात घर से बिना कु बताए निकला था और कल सुबह ग्राम के समीप खेत में बिजली टावर पर फांसी पर झाूलता हुआ उसका शव मिला। उन्होंने बताया कि सतीश मजदूरी करने अकोला महाराष्ट गया हुआ था और उसकी पत्नी भागरती मजदूरी करने हरदा गई हुई थी। गत मंगलवार को ही सतीश अकोला से वापस आया था और जब 20 एकड़ खेत में खड़ी सोयाबीन की अपनी फसल देखने गया तो उसे पता चला कि पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है। घर लौटकर वह रोने लगा था।
इससे पहले आंध्र प्रदेश के तम्बाकू किसान सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव ने आत्महत्या करने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को खत लिखकर लग्जरी बस के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पर सवाल उठाया था। राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी भेजे अपने पत्र में सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव लिखा था कि अगर मुख्यमंत्री अपनी एक बस के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सकते हैं, तो क्या किसान की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है।
- एजेंसी इनपुट