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सरैया की घटना में बाहरी हाथ : सीएम

दंगे के चौथे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पीडि़तों का दर्द जानने पहुंचे। घटना को दुखद बताते हुए उन्होंने इसमें बाहरी लोगों का हाथ होने की आशंका जताई। साथ ही कनीय पुलिस अधिकारियों को भी इसके लिए दोषी ठहराया।
सरैया की घटना में बाहरी हाथ : सीएम

दंगे के चौथे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पीडि़तों का दर्द जानने पहुंचे। घटना को दुखद बताते हुए उन्होंने इसमें बाहरी लोगों का हाथ होने की आशंका जताई। साथ ही कनीय पुलिस अधिकारियों को भी इसके लिए दोषी ठहराया। वहीं घटना में कई लोगों को शरण देकर उसकी जान बचाने वाली शैल देवी को पुरस्कृत किया। उन्होंने कहा कि शैल देवी ने जो मिसाल कायम किया इसका सभी को अनुसरण करना चाहिए। वहीं अगवा कर मार दिए गए छात्र भारतेंदु के परिजनों का भी हाल जाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि अजीजपुर और बहिलवारा गांव के लोगों में ऐसी कोई बात नहीं थी जो इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया जा सके। इसके पीछे कहीं न कहीं बाहरी लोगों का हाथ है। इसकी जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों की भूमिका को लेकर उनपर कार्रवाई की गई है। आगे जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर भी कार्रवाई होगी।

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अजीजपुर जैसी घटना बर्दाश्त नहीं : लालू

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बुधवार को दंगा प्रभावित गांव में पीड़ितों से मिलने पहुंचे लालू प्रसाद ने कहा कि अजीजपुर में हैवानियत की सीमाएं लांघी गईं। जिस तरह से दंगा, आगजनी व लूटपाट की गई वह बर्दाश्त होने लायक नहीं है। सरकार इस घटना के दोषी लोगों से सख्ती से निपटे। बाद में वे बंद कमरे में कुछ पीड़ितों से अलग से भी मिले। प्रभावित परिवारों को छह माह तक मुफ्त राशन, सभी तरह की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पीड़ितों को पीडीएस दुकान आदि दिए जाने का प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया। प्रभावित गांव में चिकित्सा व आधार कार्ड शिविर लगाने और जिनके वाहन फूंके गए उन्हें उसकी राशि व क्षति का अलग से सर्वे कराकर मुआवजा देने को कहा।

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अजीजपुर की घटना सरकार की विफलता : मोदी

पूर्व उप मुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने हिंसाग्रस्त गांव का दौरा करने के बाद कहा कि प्रशासन ही नहीं यह घटना राज्य सरकार की भी विफलता है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी व पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में शीतयुद्ध चल रहा है। एक कुर्सी बचाने में लगे हैं तो दूसरा पाने में। इस सत्ता संघर्ष में विधि व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। खमियाजा राज्य की जनता भुगत रही है। घटना की न्यायिक जांच की मांग की। उनका मानना है कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे। इसलिए पुलिस जांच में सच सामने नहीं आ सकेगा।

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सुलगते सवाल

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- 9 जनवरी को ही मृतक भारतेन्दु के गायब होने की बात सामने आई। 11 जनवरी को थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई। उसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया।

- घटना के दिन जब लाश दस बजे मिली तो फौरन उस गांव में पुलिस ने मोर्चा क्यों नहीं संभाला।

- घटना के वक्त पुलिस गांव में न प्रवेश करने का तर्क यह दे रही है कि भीड़ दस हजार की थी, वो भीड़ चंद घंटों में तो एकत्र नहीं हुई होगी।

- एक बजे से 3 बजे तक गांव में घटना होती रही और पुलिस आधा किलोमीटर दूर चौक पर खड़ी रही।

- 9 से 18 जनवरी तक गांव में किन किन राजनेताओं व संगठनों की गतिविधियां रहीं।

- लाश जिस जगह से बरामद हुई वहां गेंहू व सरसों का खेत है। खेत में रौंदे गए फसल से प्रतीत होता है कि भीड़ अधिकतम 500 की रही होगी।

- जिस तरह घरों में आग लगाई गई, एक एक कर वाहन जुटाकर आग में झोंके गए, बक्सों से गहने लूटने के बाद सामान जलाए गए उससे प्रतीत होता है कि यह प्रोफेशनल लोगों का काम है। (इंसाफ मंच द्वारा जारी जांच रिपोर्ट)

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सीआईडी द्वारा क्षति का आकलन

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नाम - पिता - परिजन संख्या- क्षति

- मो.नईम - महबूब - 30 - 20 लाख

- मो. नसार - मो. इस्माइल- 15 - 8 लाख

- मो. शमशेर - मो. इस्माइल - 20- 8 लाख

- मो. ईसा - मो. वकील - 10 - 4 लाख

- नजमुन खातून - शकूर - 5 - 2 लाख

- मो. हैदर - मो. चुल्हाई - 15 - 4 लाख

- मो. एजाज - मो. जमाल - 7 - 1.5 लाख

- मो. मुन्ना - मो. जहूर - 6 - 50 हजार (घर नहीं जला)

- मो. वहीद - मो. लतीफ - 5 - 60 हजार (घर नहीं जला)

- मो. सरफुद्दीन - रसूल मियां - 8 - 50 हजार (घर नहीं जला)

- मो. कलाम - मो. फूलगन - 7 - 25 हजार (घर नहीं जला)

- मो. निजाम - मो. सुलतान -4 - 25 हजार (घर नहीं जला)

- मो. इलियास - मो. अलीजान - 12 - 2 लाख

- मो. नईम - चुल्हाई - 5 - 2 लाख

- मो. हफीज - मो. चुल्हाई - 6 - 1.5 लाख

- मो. मुस्तिकीम - मो. इस्लाम - 12 - 1 लाख (घर नहीं जला)

- मो. कमाल - मो. खलील - 11 - 3 लाख

- मो. अलाउद्दीन - मो. इमामन - 12- 12 लाख

- मो. शफीक - वली मिया - 20 - 5 लाख

- मो. इल्ताफ - मो. जमील - 15 - 3 लाख

- मो. जफीर - मो. सदीक - .... - 2 लाख

- मो. मुनीर - मो. सदीक - 3 - 1 लाख

- मो. अख्तर- चुल्हाई - ... - 5 लाख

- बीबी बतूलन - मो. मुबारक - 2 - 30 हजार (घर नहीं जला)

- मो. फकीर - रज्जाक - 5 - 2 लाख

- मो. कुर्बान - मो. रोजा - 20 - 2 लाख

- आसमोहम्मद - दिल मोहम्मद - 10 - 2 लाख

- नजमा खातून - अब्बास - 6 - 1 लाख

- मो. जहूर - लतीफ - 6 - 1 लाख

- मो. बशीर - मो. रसूल - 12 - 1 लाख

- मो. सेराजुद्दीन - रहमान मिया - 8 - 1 लाख

- मो. नसरूद्दीन - रहमान मिया - 10 - 2 लाख

- लाल मोहम्मद - मो.नूरहसन - ... - 2 लाख (घर नहीं जला)

- मो. तैयब - नूर हसन - ..........

- मो. शकूर - मो. रमजान - 4 - 1.5 लाख (घर नहीं जला)

- मो. मुस्लिम अंसारी - रोजा अंसारी - 6 - 1.5 लाख (घर नहीं जला)

- मो. सलीम - रोजा अंसार - 3 - 1.5 लाख (घर नहीं जला)

- मो. समी अहमद - सलामत हुसैन - 10 - 10 लाख

- मो. अब्दुल गनी - मो. हबीब - 20- 10 लाख

- मो. इशहाक - मो. हबीब - 15 - 4 लाख

- हाजी अब्दुल रज्जाक - मो. हबीब - .... - 8 लाख

- वसी अहमद - इब्राहिम - .... - 10 लाख

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नोट - मो. इल्ताफ 60 वर्ष की मौत हो गई। उनका 13 वर्षीय बच्चा मो. प्यारे भी मारा गया। इसी तरह मो. अख्तर 45 वर्ष की मौत हो गई। उनका पुत्र शमीम लापता है। एक बरामद शव से आशंका है कि उसका ही हो सकता है। शव की पहचान नहीं हो पा रही है। मो. अख्तर का एक नाती मो. मुन्ना भी लापता है। एक कटे हाथ मिलने से आशंका है कि उसकी भी जलकर मौत हो गई है। इस तरह कुल पांच लोग दंगे की आग में मारे गए। भारतेन्दु के शव को जोड़ दिया जाए तो मृतकों की संख्या छह हो जाएगी।

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