24 फरवरी से शुरु हुए इस सम्मेलन में आठ राज्यों के ग्रामीण विकास मंत्री, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री हिस्सा, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया। इस आयोजन के बाद 28 फरवरी से 1 मार्च के बीच देश के सभी राज्यों के ग्रामीण विकास विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों एक बैठक में हिस्सा लेंगे जिसमें नानाजी देशमुख और दीनदयाल शोध संस्थान के जरिए वनवासी क्षेत्र के पिछड़े इलाकों में शामिल चित्रकूट में ग्रामीण विकास मॉडल को केंद्र में रख कर चर्चा की जाएगी।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विकास की अवधारणा पर अपने भाषण में कहा कि हमारे यहां विकास की परिभाषा अलग है। हमारे यहां यानी भारत में धनपति की गाथाएं नहीं गाई जातीं, बल्कि उस व्यक्ति की गाई जाती हैं जिसने अपना सब कुछ होते हुए भी गरीबों के लिए दान दे दिया हो। हमारे यहां शक्ति का महत्व सज्जनों की रक्षा के लिए है।