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गांवों में पकड़ बनाने की जुगत

‘ग्रामोदय से भारत उदय’ अभियान से उत्साहित है भाजपा, विपक्ष ने सरकार को घेरा।
गांवों में पकड़ बनाने की जुगत

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर शुरू हुए केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ को लेकर विपक्ष भले ही आलोचना कर रहा हो लेकिन सरकार उत्साहित है। भाजपा इस अभियान के जरिये ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुट गई है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है वहां अभियान को वृहद स्तर पर चलाया जा रहा है और जहां पार्टी की सरकार नहीं है वहां कार्यकर्ता इस अभियान की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। तीन चरणों में चले इस अभियान का लक्ष्य गांवों में पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करके, सामाजिक सद्भाव बढ़ाने, ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने, किसानों की प्रगति और गरीब लोगों की जीविका के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास है। लेकिन विपक्ष का सवाल यह है कि प्रधानमंत्री गांव के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं को इस अभियान से जोड़कर ग्रामोदय नाम दे रहे हैं। जबकि गांव के विकास के लिए किसी नई योजना की शुरुआत नहीं की गई। बाबा साहेब की जन्मस्थली महू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की। अंबेडकर जयंती पर शुरू हुए  अभियान को दलितों को भाजपा से जोड़ने की पहल के रूप में भी देखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने अभियान की शुरुआत में कहा भी कि जो भावना महात्मा गांधी की अभिव्यक्ति में आती थी, जो अपेक्षा बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा संविधान में प्रकट हुई है, उसको चरितार्थ करने के लिए टुकड़ों में काम करने से चलने वाला नहीं है। हमें विकास के जितने स्रोत हैं उनको गांवों की ओर मोडऩा है। यही कारण है कि इस अभियान की शुरुआत हुई। सामाजिक समरसता कार्यक्रम, ग्राम किसान सभाओं के जरिये गांव के लोगों को फसल बीमा योजना, सामाजिक स्वास्थ्य कार्ड, जन-धन योजना आदि के बारे में लोगों को जानकारी दी गई। मध्य प्रदेश सरकार ने इस अभियान के लिए 45 दिन की रूपरेखा तैयार की है। इस दौरान प्रदेश के गांवों में सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि यह अभियान सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का अभियान है। इससे गांवों में जरूर बदलाव नजर आएगा। वहीं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरुण यादव इस अभियान को 'ग्राम अस्त और भारत अस्त अभियान’ कहते हैं। यादव कहते हैं कि इस अभियान के जरिये भाजपा राजनीतिक लाभ लेना चाहती है लेकिन इसमें सफलता मिलने वाली नहीं है। इस अभियान के दौरान ही स्वराज अभियान के तहत आयोजित जय किसान आंदोलन सरकार की इस योजना की पोल खोलने में जुटी है। आंदोलन के कार्यकर्ता पंकज के मुताबिक इस अभियान को ऐसे रूप में देखा जा रहा है कि जिससे किसानों और ग्रामीण भारत की सच्ची आवाज को देश के सामने रखा जा सके।  पंकज कहते हैं कि प्रधानमंत्री मन की बात सुनाते हैं लेकिन किसानों के मन की पीड़ा कोई नहीं सुनता।

लेकिन सरकार की इस पहल को सकारात्मक बताते हुए ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि इससे गांव सशक्त होगा और जब गांव सशक्त होगा तब देश भी सशक्त होगा। जो भी हो लेकिन राजनीतिक समीकरण यह बताते हैं कि दिल्ली और बिहार में मिली हार के बाद भाजपा को इस बात का एहसास हो गया है कि ग्रामीण इलाकों और दलितों के बीच पकड़ बनाए बिना अपने जनाधार का विस्तार नहीं कर सकती। इसलिए इस अभियान को उस नजरिये से भी देखा जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला कहते हैं कि इस अभियान से गांवों का भला होने वाला नहीं है। जब तक गांवों के लिए योजनाओं में प्राथमिकता नहीं दिया जाएगा, केवल हल्ला करने से कुछ नहीं होने वाला है। अभियान के समापन पर देश की सभी ग्राम पंचायतों के लिए जिस तरह डिजिटल कनेक्टिविटी के जरिये जोड़ा गया उसे सकारात्मक भी कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ‘गर्व’ नाम से एक एप्प भी जारी किया जिससे कि गांवों के लिए किए जा रहे विकास कार्यों की प्रगति का अवलोकन हो सके। लेकिन अब देखना यह है कि इस अभियान से गांव, गरीब और किसान का कितना भला होगा। 

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