इलाके के लोग 1970 के दशक से ही बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की मांग करते रहे हैं। यह गांव वन भूमि पर बसा हुआ है। जनता के लगातार आंदोलन करने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों ने इसे राजस्व गांव बनाने की वकालत की थी। लेकिन अब राज्य की क्रांग्रेस सरकार ने इसे नगर पालिका बनाने की अधिसूचना जारी की है। गांव के लोग नगर पालिका बनाने के पक्ष में नहीं है। वह राजस्व बनाने की अपनी पुरानी मांग पर अड़े हुए हैं।
उत्तराखंड के जन-आंदोलनों के इतिहास में इस गांव की अहम भूमिका रही है। राजस्व गांव की मांग को लेकर भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) यहां लंबे अरसे से सक्रिय रही है। इस बार भी माले यहां नेतृत्वकारी भूमिका में है।