रूस ने एक बार फिर से रूस-भारत-चीन त्रिकोण (Troika) फॉर्मेट को पुनर्जीवित करने की इच्छा जताई है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस बात की पुष्टि की है कि मॉस्को इस तीन देशों के बीच सामरिक और कूटनीतिक सहयोग को मजबूत बनाने के लिए गंभीर रूप से प्रयासरत है।
रूस-भारत-चीन त्रिकोण फॉर्मेट एक ऐसा मंच है जहां ये तीन बड़ी ताकतें अपने आपसी हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चर्चा करती हैं। यह फॉर्मेट खासतौर पर आर्थिक, सुरक्षा, और भू-राजनीतिक मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यह फॉर्मेट कमजोर पड़ गया था, लेकिन रूस इस पहल को फिर से सक्रिय करना चाहता है ताकि एशिया में बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत किया जा सके।
लावरोव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत, चीन और रूस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। तीनों देशों के बीच संवाद और सहयोग बढ़ाने से न केवल उनके साझा हितों की रक्षा होगी, बल्कि वैश्विक स्थिरता और शांति में भी मदद मिलेगी। रूस इस त्रिकोणीय सहयोग को आर्थिक विकास, ऊर्जा क्षेत्र, और सुरक्षा मामलों में और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
रूस-भारत-चीन त्रिकोण की पुनरुद्धार की पहल ऐसे समय में आई है जब विश्व स्तर पर नए भू-राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, ये तीन देश अपनी साझेदारी को मजबूत कर दुनिया में एक नया शक्ति संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह फॉर्मेट खासकर क्षेत्रीय विवादों और आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रभावी मंच माना जाता है। भारत और चीन के बीच तनाव के बावजूद, रूस इसे सहयोग की एक जरिया बनाने का प्रयास कर रहा है। मॉस्को की यह पहल वैश्विक राजनीति में इस त्रिकोणीय साझेदारी की अहमियत को फिर से रेखांकित करती है।
इस प्रकार, रूस-भारत-चीन त्रिकोण फॉर्मेट का पुनरुद्धार एक बड़ा राजनीतिक संकेत है जो बताता है कि तीनों देशों को साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना करना है और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करनी है।