समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल को बंद करना दिखाता है कि सरकार बड़े न्यूज चैनलों को बचाना चाहती है। ऐसे चैनलों को जनता पहले ही नकार चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये चैनल सरकार से गहराई से जुड़े हुए हैं। उनका कामकाज एक खास सिद्धांत पर चलता है – "जिसका दाना, उसका गाना।"
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि किसी लोकप्रिय यूट्यूब चैनल को बंद करना या किसी लोकगायक पर एफआईआर दर्ज करना उन बड़े न्यूज चैनलों को बचाने का प्रयास है जिन्हें दर्शकों ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये वही चैनल हैं जो सरकार के सबसे करीबी हैं और अब केवल उन्हीं लोगों द्वारा देखे जा रहे हैं जिन्हें अभी तक यह समझ नहीं आया है कि उनके साथ भावनात्मक रूप से छल किया गया है।
उन्होंने लिखा कि इन बड़े चैनलों का झूठ अब केवल उन लोगों तक पहुंच रहा है जो अभी तक समझ नहीं पाए हैं कि उन्हें लगातार बेवकूफ बनाया गया है। ये तथाकथित बड़े चैनल हर दिन मूर्खता परोस रहे हैं।
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे प्रतिबंधों के कारण डर की राजनीति कर रही भाजपा का असली चेहरा सामने आ गया है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा झूठ पर खड़ी है और वे चैनल जो सरकार के प्रवक्ता बन चुके हैं, अब घबराहट की स्थिति में हैं। उन्होंने लिखा कि कुछ लोग इधर से उधर जा रहे हैं, कुछ लोग उधर से इधर आ रहे हैं। लेकिन सरकार समर्थित ये चैनल अब भी दर्शकों का भरोसा नहीं जीत पा रहे हैं।
उन्होंने यूट्यूब चैनलों को बंद करने और एफआईआर दर्ज करने को ‘डंब मीडिया’ को बचाने की एक विफल कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रयास इसलिए भी निष्फल है क्योंकि इन स्ववित्तपोषित, लोकप्रिय और जनमानस की आवाज को बुलंद करने वाले यूट्यूब चैनलों के दर्शक जागरूक हैं और वे कभी भी 'जुमलई टीवी चैनलों' के दर्शक नहीं बनेंगे।
अखिलेश यादव ने कहा कि जब हर हाथ में मोबाइल है, तो सरकार करोड़ों लोगों पर कैसे प्रतिबंध लगाएगी? आज के इस सक्रिय नागरिक पत्रकारिता के दौर में किसी भी विचार को दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि एक न एक दिन सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि ये सच्ची आवाज़ों को बुलंद करने का समय है। सच्चा इतिहास गवाह है कि क्रांतिकारी क़लम और चैतन्य कलाकारों की एकता ने इतिहास को नकारात्मक होने से बचाया है। आइए एकजुट हो जाएं अभिव्यक्ति के साथ-साथ देश की आज़ादी, लोकतंत्र और उस संविधान को भी बचाएं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। इसीलिए सभी सच्चे यूट्यूब न्यूज़ व क्रिएटिव चैनलों से खुली अपील है कि वो ऐसी कार्रवाइयों से डरें नहीं और एकजुट होकर इसकी आलोचना करें क्योंकि कोई ‘आज़ाद -ख़याल इंक़लाबी’ ये लिखने की प्रेरणा देकर गया है कि “लगेगी पाबंदी तो आएंगे कई और सच्चे चैनल्स भी इसकी ज़द में, यहाँ कोई अकेला चैनल थोड़ी है।”