प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ओडिशा के दौरे पर एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए यह खुलासा किया कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का डिनर निमंत्रण विनम्रता से ठुकरा दिया था। यह घटना उस समय की है जब पीएम मोदी कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद भारत लौट रहे थे। पीएम मोदी ने बताया कि ट्रंप ने उन्हें अमेरिका होते हुए वाशिंगटन आने और डिनर पर मिलने का न्योता दिया था। हालांकि, मोदी ने ट्रंप को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें ओडिशा, यानी महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती पर आना ज्यादा आवश्यक लगा।
मोदी ने अपने भाषण में कहा, “ट्रंप ने मुझसे कहा कि जब आप कनाडा से लौट रहे हों तो वाशिंगटन आइए और डिनर पर मिलते हैं। मैंने कहा—थैंक यू फॉर द इन्विटेशन, लेकिन मुझे महाप्रभु की धरती पर जाना ज़रूरी है।” यह बयान न सिर्फ मोदी की धार्मिक आस्था को दर्शाता है बल्कि उनके देश के आंतरिक दौरों और जनता से संवाद को प्राथमिकता देने की नीति को भी उजागर करता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुआ। इस मौके पर उन्होंने राज्य में ₹18,600 करोड़ की लागत वाली 105 विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में सड़क, स्वास्थ्य, ऊर्जा और सिंचाई से जुड़े कई अहम कार्य शामिल हैं। मोदी ने अपने भाषण में ओडिशा को महाप्रभु जगन्नाथ की धरती बताते हुए कहा कि पूर्वी भारत को विकास की मुख्यधारा में लाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है।
इस पूरे मामले पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को बताया कि पीएम मोदी ने ट्रंप का निमंत्रण इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि उनकी कुछ पूर्व निर्धारित प्रतिबद्धताएं थीं। इसके साथ ही, पीएम मोदी ने ट्रंप को भारत आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे ट्रंप ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया।
ट्रंप के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने भारत की स्पष्ट नीति को दोहराया कि देश अपने आंतरिक मामलों में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। यह बयान उस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है जब ट्रंप ने पहले भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की इच्छा जताई थी। पीएम मोदी ने यह भी रेखांकित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए हुए है, और इसमें कोई ढील नहीं दी जाएगी। ट्रंप ने इस रुख की सराहना की।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय कर्तव्यों को अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मंचों पर भी प्राथमिकता देते हैं। ओडिशा की जनता से जुड़ने और वहां के विकास को गति देने का यह निर्णय एक बड़ी राजनीतिक और मानवीय दृष्टि का प्रतीक है, जो उनके नेतृत्व की एक अलग पहचान बनाता है।