वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के बचे हुए हिस्सों का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराए जाने का आदेश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर फास्ट ट्रैक अदालत ने बुधवार को हिन्दू पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीख छह सितंबर तय की है।
दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की फास्ट ट्रैक अदालत में इस मामले की सुनवाई हो रही है। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर के बाकी बचे हिस्सों का एएसआई से सर्वेक्षण कराए जाने का आग्रह करने वाली याचिका पर दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) युगल शम्भू की अदालत में हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं। इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय कर दी गयी।
मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधि अदालत में मौजूद थे। वे अगली सुनवाई के दौरान मामले पर अपनी दलीलें रख सकते हैं।
यादव ने बताया कि हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने अदालत से कहा कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद के गुम्बद के नीचे मध्य में ‘ज्योतिर्लिंग’ का मूल स्थान है जिसे मुस्लिम पक्ष वजूखाना बताता है। उन्होंने कहा कि भूगर्भीय जल अरघे से निरंतर निकलता रहता था जो ज्ञानवापी कुंड में इकट्ठा होता था। मान्यता थी कि इस जल को पीने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए इस तीर्थ को ज्ञानोदय तीर्थ भी माना गया है।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने मांग की कि जल अभियांत्रिकी, भूगर्भ शास्त्रियों और पुरातत्व वैज्ञानिकों द्वारा इस जल के बारे में विस्तार से पता लगाया जाए। साथ ही ज्ञानोदय तीर्थ से प्राप्त शिवलिंग की भी जांच कराई जाए कि वह शिवलिंग है या फौव्वारा।
मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति मिलने के दावों के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वजूखाने को सील कर दिया गया है। हिन्दू पक्ष उस आकृति को काशी विश्वनाथ का मूल शिवलिंग मानता है जबकि मुस्लिम पक्ष उसे वजूखाने का फौव्वारा बताता है।