उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अप्रैल में तय करेगा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बरकरार रखने वाले साल 2022 के उसके फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है या नहीं।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से सहमति जताई और कहा कि सुनवाई अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि उन्होंने मामले को प्रशासनिक पक्ष की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था और आश्चर्य जताया कि इसे कैसे दो न्यायाधीशों की पीठ के सामने पेश किया गया।
उन्होंने कहा, “हम आपको एक निश्चित तारीख बताएंगे, लेकिन इस मामले की सुनवाई अप्रैल के अंत से पहले नहीं होगी।”
शीर्ष अदालत कुछ मापदंडों पर तीन न्यायाधीशों की पीठ के 27 जुलाई 2022 के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 27 जुलाई 2022 के अपने फैसले में पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और धन शोधन में शामिल संपत्ति की कुर्की व जब्ती की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था।
अगस्त 2022 में शीर्ष अदालत ने जुलाई 2022 के अपने फैसले पर पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी। न्यायालय ने कहा था कि दो पहलुओं-प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) प्रदान नहीं करना और निर्दोष की धारणा को उलटना-पर “प्रथम दृष्टया” पुनर्विचार की आवश्यकता है।