एक महान नायक ही महान टीम बना सकता। नायक जब तक अपनी टीम पर भरोसा नहीं करेगा, हर खिलाड़ी को मौक़ा नहीं देगा, तब तक टीम कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुंच सकती। यह किस्सा महान कप्तान सौरव गांगुली का है।
सन 2005 में भारत और पाकिस्तान का मैच विशाखापट्टनम में आयोजित किया गया। भारतीय क्रिकेट टीम में युवा खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी को जगह दी गई। इस मैच से पहले महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन निराशाजनक था। एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी का निराशाजनक प्रदर्शन सभी को चुभता है। सौरव गांगुली को महसूस हुआ कि अभी तक धोनी सात नंबर पर खेलने आते हैं। इस कारण उनके ऊपर दबाव भी रहता है और गेंदें भी कम खेलने को मिलती हैं। अगर धोनी बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आएं तो वह ज़रूर अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर सकते हैं।
मैच से पहले सौरव गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी को फोन किया और कहा कि आपको मैच में तीन नंबर पर बल्लेबाजी करनी है। यह सुनकर धोनी चौंक गए क्योंकि तीन नंबर पर सौरव गांगुली बल्लेबाजी करते थे। धोनी ने प्रश्न किया तो सौरव बोले " माही, मैं चार नंबर पर बल्लेबाजी कर लूंगा, तुम तीन नंबर पर खेलने जाओ और बढ़िया प्रदर्शन करो। धोनी तीन नंबर पर बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने 148 रनों की विस्फोटक पारी खेली। इसके बाद धोनी पूरे भारतीय क्रिकेट जगत में सनसनी बन गए। महेन्द्र सिंह धोनी की इस परफॉर्मेंस में जितना योगदान उनकी मेहनत का रहा, उतना योगदान सौरव गांगुली के निर्णय का भी रहा। महान नेता इसी तरह का होता है।