अब लोगों के पास उतना वक्त नहीं है कि वे पूरा दिन एक खेल के मनोरंजन में जाया करें। इसके अलावा क्रिकेट में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग से इसकी लोकप्रियता का ग्राफ गिरा है। भारत जैसे विशाल और गरीब देश में भले ही क्रिकेट की स्थिति अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर बेहतर है लेकिन एक तिहाई युवा पीढ़ी इसी खेल में अपना भविष्य खराब कर रहे हैं। इस बारे में आप क्या सोचते हैं? पिछले कुछ वर्षों के दौरान क्रिकेट की कमाई भी कम होकर अन्य खेलों में बढ़ने लगी है।
ऐसे में सरकार को अन्य खेलों पर क्रिकेट से अधिक न सही, बराबर ध्यान देने की जरूरत है ताकि हमारी युवा पीढ़ी ओलिंपिक और अन्य खेल प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक पदक बटोर कर देश का गौरव बढ़ा सके। क्या किसी हॉकी खिलाड़ी या कबड्डी खिलाड़ी को क्रिकेट खिलाड़ियों जैसा धन-सम्मान मिलने का हक नहीं है? अब अन्य खेलों में भी बाजार की दिलचस्पी बढ़ी है तो जाहिर है कि अन्य खेलों के खिलाड़ियों को भी धन की कमी आड़े नहीं आएगी और प्रतिभाएं कुंद नहीं पड़ेगी। इस संदर्भ में सरकार को कौन-कौन से कदम उठाने चाहिए ताकि देश का गौरव बढ़ने के साथ ही प्रतिभाओं का उचित मूल्यांकन भी किया जा सके? हमारी बहस में हिस्सा लीजिए और इस बारे में आपके क्या ख्यालात हैं, हमें लिख भेजिए।