इससे सवाल उठता है कि क्या आप के भीतर असहमित की आवाजों के लिए कोई जगह नहीं है?
क्या अरविंद केजरीवाल निरंकुश नेता बनने की तरफ बढ़ रहे हैं?
क्या आप में आत्मालोचना के लिए कोई जगह है?
हम इन सारे सवालों पर अपने पाठकों की राय जानना चाहते हैं। आप अपनी राय नीचे दिये कमेंट बॉक्स में जाहिर कर सकते हैं।