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काटजू को गुस्सा क्यों आता है?

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्र पिता माने जाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस की आलोचना की है। उन्होंने गांधी को फर्जी और बोस को जापानी फासिस्टों का एजेंट कहा है। काटजू के बयान के लिए राज्यसभा में उनकी निंदा का प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
काटजू को गुस्सा क्यों आता है?

क्या भारत में स्थापित प्रतीकों और मूल्योंसे किसी को असहमत होने का अधिकार नहीं है?

क्या काटजू सिर्फ लोगों का ध्यान खींचने को ऐसा बयान दे रहे हैं या वह गांधी और बोस की ऐतिहासिक भूमिका से असहमत उनकी जायज आलोचना कर रहे हैं?

क्या किसी भी व्यक्ति को आलोचनाओं से परे मान लेना लोकतांत्रिक है?

इन सारे सवालों पर आप अपनी राय नीचे लिखे कॉमेंट बॉक्स में जाहिर कर सकते हैं।  

 

 

 

 

 

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