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आपदा के वक्‍त ही क्‍यों जागते हैं हम

आउटलुक को बताइए अपनी राय, आखिर हादसों के वक्‍त ही क्‍यों याद आता है आपदा प्रबंधन? अनियोजित विकास की भेंट चढ़ चुके दिल्‍ली जैसे शहरों में भूकंप के तगड़े झटके आए तो किसे दोषी ठहराएंगे हम?
आपदा के वक्‍त ही क्‍यों जागते हैं हम

नेपाल में भूकंप के लगातार झटकों से आई तबाही में पूरे हिमालय को हिलाकर रख दिया है। नेपाल से उठे धरती के कंपन का असर चीन, पाकिस्‍तान, उत्‍तर व पूर्वी भारत और बांग्लादेश तक पहुंचा। नेपाल ने हजारों लोग मौत के मुहं में जा चुके हैं। आज जो नेपाल में हुआ, भारत भी तकरीबन हुई खतरे के मुहाने पर खड़ा है। उत्‍तर भारत के दिल्‍ली समेत अधिकांश शहर भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में आते हैं। लेकिन करोड़ों की आबादी वाले भारत के महानगर इस खतरे से अनजान बेतरतीब विकास की भेट चढ़ रहे हैं। भूकंप से सुरक्षित इमारतों की बात तो दूर दिल्‍ली जैसे शहरों की हजारों अवैध कॉलोनियां हादसों के ढेर पर खड़ी हैं। आपदा में यहां तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। फिर भी हम आपदा प्रबंधन के उपायों को सिर्फ हादसों के मौके पर चर्चा तक सुरक्षित रखते हैं। इस मुद्दे पर क्‍या है आपकी राय, आउटलुक को बताइए 

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