इस साल फरवरी में हुए इस उत्सव के पहले संस्करण में नौ भाषाओं के लगभग 50 लेखकों और फिल्मकारों ने भागीदारी की थी। उत्सव के कार्यकारी निदेशक मोहन ककनादन ने कहा कि यदि हम इसमें सक्रिय रूप से भाग लेने वाले पाठकों और लेखकों के हिसाब से देखें तो भारतीय भाषाओं के साहित्य का राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव मनाने के इस विचार को लोगों ने खूब सराहा।
दो दिन के इस उत्सव के बाद भारतीय भाषाओं के बीच यह एक अहम चर्चा का विषय बन गया। इस उत्सव ने लोगों को नए विचारों और विचारोत्तेजक बहसों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराया।
इस उत्सव का उद्घाटन सत्र सात भारतीय भाषाओं मराठी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, उडि़या और तमिल पर केंद्रित होगा। इसके अलावा इनमें से कुछ भाषाओं पर विशेष सत्र भी होंगे।
उत्सव के आयोजकों ने कहा कि अंग्रेजी और हिंदी का साहित्य भी इस उत्सव का हिस्सा होंगे। जाने-माने फिल्मकार अडूर गोपालकृष्णन इस उत्सव के परामर्श पैनल के प्रमुख हैं। इसके अलावा कई जाने-माने लेखक इस पैनल के सदस्य हैं। यह उत्सव मुंबई आधारित साहित्यिक पत्रिका काक्का की पेशकश है।