मंगलवार की शाम लोकार्पित की गई यह किताब एक संपादक के रूप में मेहता के जीवन की स्मृति गाथा सुनाती है। लोकार्पण समारोह में मेहता के परिजन और मित्र मौजूद थे। आउटलुक, संडे ऑब्जर्वर जैसे प्रकाशनों की स्थापना और उनका संपादन करने वाले मेहता का आठ मार्च को 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
एक बार मेहता ने लिखा था, 40 साल अनियमित रोजगार के बाद मैं केवल संपादन और प्रिंट प्रकाशनों को ही चला सकता हूं। इसके अलावा किसी और काम के लिए मैं बेकार हूं। समारोह में पुस्तक के बारे में मेहता की पत्नी सुमिता पॉल ने कहा, मैं वह दिन अब तक नहीं भूल पाती जब उन्होंने मुझे बुलाया और कहा, यह आ गया (छपकर)। वह बहुत उत्साहित थे और इसके लोकार्पण को लेकर उत्सुक भी। अस्पताल जाने से कुछ हफ्ते पहले वह सबको आमंत्रित करने भी गए थे। उन्होंने मुझसे कहा था कि हमें इसे स्मरणीय बनाना चाहिए। इस पुस्तक को पेंगुइन वाइकिंग ने प्रकाशित किया है।