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खुल गए पुस्तक मेले के दरवाजे

सबसे ज्यादा प्रतीक्षित कार्यक्रम का अवॉर्ड यदि पुस्तक मेले के नाम किया जाए तो भी गलत नहीं होगा। किसी भी पर्व-त्योहार से ज्यादा इस मेले को लेकर उल्लास रहता है। हर साल दिल्ली के प्रगति मैदान में लाखों की संख्या में पुस्तक प्रेमी जुटते हैं।
खुल गए पुस्तक मेले के दरवाजे

अतिथि मेहमान देश चीन और भारतीय संस्कृति की झलक दिखलाने वाले पुस्तक मेले का शुभारंभ भारत में चीन के राजदूत ला यु चंग, चीन के प्रसिद्ध लेखक यू जियान, नामी भारतीय लेखक एस एल भैरप्पा और मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्री स्मृति इरानी ने किया। इस मौके पर चीन के राजदूत भारत और पुस्तक मेले के आयोजक राष्ट्रीय पुस्तक न्यास को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘यहां पूरी दुनिया से प्रकाशक आए हुए हैं और यह किसी भी देश की संस्कृति को समझने के लिए बहुत अच्छा मौका है। भारत और चीन दोनों ही देशों की सांस्कृतिक विरासत बहुत पुरानी है। अब हमें यह देखना है कि शानदार विरासत के मालिक दोनों देश कैसे नई इबारत लिखते हैं।’

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के चैयरमैन बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि चीन और भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत को लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए ताकि नई पीढ़ी भी इससे रूबरू हो सके। उन्होंने बताया कि यही वजह है कि इस बार प्राचीन लिपियों का प्रदर्शन पुस्तक मेले में किया जाएगा। 

एस एल भैरप्पा ने चीनी राजदूत की बात को ही आगे बढ़ाते हुए कहा कि वेद सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हैं। भारत ने जो दर्शन दिया वह चीनी दर्शन से बहुत दूर नहीं है। दोनों देश सांस्कृतिक रूप से बेहद करीब हैं और अब दोनों ही देशों को भाषा पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब आप चीन की संस्कृति के बारे में पढ़ते हैं तो लगता है यह अपना ही कुछ है, लेकिन जब मैं चीन जाता हूं तो भाषा के स्तर पर खुद को बहुत असहाय मानता हूं।’

इस मौके पर बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी जुटे थे। स्मृति ईरानी ने बताया कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने भारतीय भाषाओं के लेखकों को प्रोत्साहन देने के लिए काम शुरू किया है। इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय शोध यात्रा नाम से एक योजना शुरू कर रहा है जिसके अंतर्गत स्कूली बच्चे, इतिहासविद, फोटोग्राफर एशियाई देशों में जाएंगे और वहां की संस्कृति के बारे लिखेंगे-फोटो खींचेगे और यह पुस्तक के रूप में प्रकाशित की जाएगी।

धन्यवाद ज्ञापित करते हुए न्यास की निदेशक रीता चौधरी ने कहा कि पुस्तक मेले में हर साल कुछ नया करने की चुनौती रहती है। इस बार भारतीय संस्कृति की झलक और इससे जुड़ी बातें मेले में आने वाले दर्शनार्थी देख पाएंगे।  

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