भोपाल में आयोजित 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के एक दिन पहले केन्द्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह के विवादास्पद बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया है। भोपाल में रहने वाले हिन्दी के शीर्षस्थ साहित्यकारों की अनदेखी से जुड़े एक सवाल पर केन्द्रीय मंत्री वी.के. सिंह ने कहा कि हिन्दी के साहित्यकार सम्मेलनों में जाकर आपस में लड़ते थे, आलोचना करते थे, आलेख पढ़ते थे, कविता पढ़ते थे और चले आते थे। वे खाते-पीते थे, दारू पीते थे, पर अब ऐसा नहीं है। इस बार के सम्मेलन में ऐसा नहीं होगा।
साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि राजेश जोशी ने कहा कि विदेश राज्य मंत्री का यह बयान बहुत ही हास्यपद है कि उन्होंने लेखकों को इसलिए आमंत्रित नहीं किया कि वे दारू पीते हैं। उन्होंने कहा कि सेना में ज्यादा शराब की खपत है, तो क्या उन्हें शराब के लिए याद किया जाना चाहिए या फिर उनके देश हित में उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया जाना चाहिए। अफसोस की बात है कि उन्हें लेखकों के योगदान के बारे में कुछ नहीं मालूम, तभी वे ऐसी बातें कर रहे हैं। किसी भी भाषा से उसके साहित्यकारों को नकार कर उस भाषा को समृद्ध नहीं बनाया जा सकता।
आम आदमी पार्टी के मध्यप्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह का बयान कि साहित्यकार विश्व हिन्दी सम्मेलन में दारू पीने आते हैं, उनके हिन्दी के साहित्यकारों के ज्ञान एवं अनुभवों के बारे में अज्ञानता को दर्शाता है। एक ओर सरकर हिन्दी भाषा के प्रखर विद्वानों एवं लेखकों की इस आयोजन में अनदेखी कर अपमान कर रही है, तो दूसरी ओर मोदी सरकार के मंत्री का बयान उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी जनरल वी.के. सिंह से माफी की मांग करती है।
उल्लेखनीय है कि पद्मश्री मंजूर एहतेशाम, पद्मश्री रमेशचंद्र शाह, पद्मश्री मेहरून्निसा परवेज, पद्मश्री ज्ञान चतुर्वेदी, साहित्य अकादमी से सम्मानित गोविन्द मिश्र, राजेश जोशी जैसे हिन्दी के शीर्षस्थ रचनाकारों सहित कई ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने हिन्दी को दुनिया में विस्तार दिया है, पर सरकार ने उन्हें आमंत्रित करना तक मुनासिब नहीं समझा।