नीतीश कुमार ने आपको मुक्चयमंत्री बनाया आप पर भरोसा किया ञ्चया ये नहीं लगता कि आपने उन्हें धोखा दिया?
मैंने कभी धोखा नहीं दिया। अगर एक बार भी नीतीश कुमार मुझसे कहते कि मैं मुक्चयमंत्री पद छोड़ दूं, ये पार्टी के हित में है तो मैं छोड़ देता। पर उन्होंने कभी मुझे कुछ नहीं कहा दूसरों से कहलाते रहे। मुझे उनके विधायकों ने मारने की धमकी दी। मैं तो न्याय संगत काम कर रहा था। ये जरुर है मैं उनका कठपुतली नहीं था। नीतीश कुमार का जदयू पर एकाधिकार है। शरद यादव उनकी मु_ïी में हैं। जिस बैठक को बुलाने का मेरा अधिकार था उसे शरद यादव किस हैसियत से बुला सकते थे? हमने अदालत में उनको चुनौती दी थी। अदालत ने भी हमारे पक्ष में फैसला दिया था पर विधानसभा अध्यक्ष ने धोखा दिया। असंवैधानिक काम किया।
कहा जाता है आपने ये सब भाजपा के इशारे पर किया। आप प्रधानमंत्री से भी गुप्त रुप से मिले?
ये झूठ है। मैं कभी प्रधानमंत्री से गुप्त रुप से नहीं मिला। वो मेरा प्रोटोकॉल था। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के अलावा मैं किसी भाजपा नेता से नहीं मिला। प्रधानमंत्री से नीती आयोग की बैठक के लिए मिला था। एक मुक्चयमंत्री का प्रधानमंत्री से मिलना कोई राजनीतिक घालमेल नहीं है। कभी नीतीश कुमार को नरेन्द्र मोदी से हाथ मिलाने से भी परहेज था वे उनसे अब गले मिल रहे हैं। ये बात किसी को समझ में नहीं आ रही है। अगर मैं भाजपा के इशारे पर चलता तो भाजपा मेरी सरकार बनाने में समर्थन करती। अगर भाजपा चाहती तो बहुमत साबित करने के आठ दिन पहले मुझे समर्थन देने की घोषणा करती। अगर ऐसा होता तो नीतीश कुमार के सारे भरोसेमंद विधायक दूट गए होते पर भाजपा ने धोखा दिया। भाजपा अपनी राजनीति कर रही है। मैं तो गरीब और दलित हूं और दलितों के पक्ष में खड़ा हूं।
जब आपको विधानसभा शक्ति परीक्षण का सामना नहीं करना था तो आपने ये सब क्यों किया? आपने तीन से 19 जनवरी के बीच 6 बैठकें की 77 फैसले लिए। अगर ये फैसलेे सरकार लागू करती तो 30 हजार करोड़ अतिरिक्त वित्तिय भार पड़ता। नीतीश सरकार ने आपके 34 निर्णय को खारिज कर दिया?
हमने सारे फैसले गरीबों और दलितों के हक में लिया था। नीतीश सरकार में कन्ट्रेक्टर का राज है। करोड़ों रुपए उस नाम पर बहाए जा रहे हैं। हम उस पैसे को सामाजिक काम में लगाते। राज्य की महादलित जातियों की श्रेणी में दुसाध, पासवान जाति को शामिल करना और पासवान की दो उप जातियां धाड़ी और धरही को भी शामिल करना एक बड़ा फैसला था। इसके अलावा सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण, नियोजित शिक्षकों को वेतनमान, सिपाही से इंस्पेक्टर तक को अब साल में 13 महीने का वेतन, किसान सलाकार को हर माह 7000, होर्मगार्ड के रिटायर करने की अवधि 60 साल जैसे फैसले लिए गए। नीतीश कुमार ने सारे फैसले खारिज कर दिए हैं। हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (हम) ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ बिहार में आंदोलन करने का निर्णय लिया है। मेरे फैसले को निरस्त कर नीतीश महादलितों का हक छीन रहे हैं।
जिस महादलितों की आप बात कर रहे हैं उसकी अवधारणा नीतीश कुमार की है । उनकी सरकार ने महादलित आयोग का गठन किया?
महादलितों की बात सबसे पहले हमने की थी। जब हम लालू प्रसाद की सरकार में थे। पर उन्होंने कुछ नहीं किया। जब नीतीश कुमार ने मुझे टिकट दिया तो मैंने उन्हें ये सुझाव दिए थे। महादलित आयोग की पहली अनुशंसा जातीय आधार पर नहीं बल्कि शैक्षिणक आधार पर थी। नीतीश ने बहुत चालाकी से इसका जातीय आधार किया।
क्या आपको लगता है दलित आापके साथ होंगे?
दलित अगर दलित का साथ नहीं देगा तो किसका देगा। मैं जानता हूं दलित होना क्या होता है।
आप पर आरोप है कि आप समाज में जातीय आधार पर भेद भाव कर रहे हैं। आदिवासी और दलितों को मूल निवासी कह कर बाकी सभी जाति को बाहरी कहा?
ये सच है। यहां के मूल निवासी आदिवासी व दलित हैं। ये बात तो हमारे इतिहासकार भी कहते हैं। बड़े इतिहासकर रामशरण शर्मा ने भी कहा है।
आने वाले चुनाव में आप खुद को कहां पाते हैं?
इसका फैसला जनता करेगी