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एक्सक्लूसिव: नारद स्टिंग आपरेशन करने वाले पत्रकार का खुलासा; मुकुल रॉय ने 15 लाख तो शुभेंदु ने भी 5 लाख रुपये ली थी घूस

2016 में, पत्रकार मैथ्यू सैमुअल द्वारा किए गए नारद स्टिंग ऑपरेशन ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल ला...
एक्सक्लूसिव: नारद स्टिंग आपरेशन करने वाले पत्रकार का खुलासा; मुकुल रॉय ने 15 लाख तो शुभेंदु ने भी 5 लाख रुपये ली थी घूस

2016 में, पत्रकार मैथ्यू सैमुअल द्वारा किए गए नारद स्टिंग ऑपरेशन ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल ला दिया था। सैमुअल को जब स्टिंग आपरेशन दिखाने के लिए उनकी पत्रिका तहलका और दूसरे मीडिया संस्थानों से मदद नहीं मिली तो उन्होंने खुद का नारद पोर्टल बनाकर स्टिंग आपरेशन को जारी किया। स्टिंग ऑपरेशन में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्रियों और राजनेताओं और उच्च पदस्थ नौकरशाहों को कथित तौर पर चेन्नई की एक फर्जी निजी कंपनी को काम देने के बदले में घूस लेते हुए दिखाया गया था। और उसके करीब पांच साल बाद सीबीआई ने तृणमूल के चार नेताओं को गिरफ्तार किया है। उस स्टिंग आपरेशन में मुकुल रॉय और शुभेंधु अधिकारी (दोनों तृणमूल कांग्रेस पार्टी में थे) के खिलाफ लगे आरोपों पर सीबीआई ने चुप्पी साध रखी है। जबकि सैमुअल का दावा कि इन दोनों ने भी सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से घूस ली थी। जिसके प्रमाण हैं। पूरे मामले पर मैथ्यू सैमुअल से पुनीत निकोलस यादव ने बातचीत की है...


सवाल- नारद स्टिंग ऑपरेशन क्या था?

जवाब- जब 2014 में मैंने तहलका पत्रिका के प्रबंध संपादक के रूप में वापसी की तो उस समय पत्रिका में के.डी. सिंह (व्यवसायी-राजनेता और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद) एक बड़े निवेशक थे। तरुण तेजपाल (तहलका के संस्थापक संपादक, जिन्हें नवंबर 2013 में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार किया गया था और पत्रिका से इस्तीफा दे दिया था) के खिलाफ मामले के कारण पत्रिका मुश्किल दौर से गुजर रही थी। सिंह चाहते थे कि मैं कुछ बड़ी कहानियां करूं जो तहलका के पत्रकारिता के ब्रांड में पाठकों और विश्वास को बहाल कर सकें। मेरे पास कुछ आइडिया थे, लेकिन मैं भाजपा शासित राज्यों में एक और स्टिंग ऑपरेशन नहीं करना चाहता था क्योंकि तहलका को इसके पहले के स्टिंग ऑपरेशन के कारण भाजपा विरोधी प्रकाशन के रूप में लेबल कर दिया गया था, जिनमें से कई आपरेशन के लिए मैं जिम्मेदार था। नतीजतन, मैंने सोचा कि मैं बंगाल में कुछ करूंगा। सिंह ने शुरू में समर्थन किया था। मेरे पास 81 लाख रुपये का बजट था। ऐसे में मैंने खुद को एक व्यवसायी के रूप में पेश किया और बंगाल में राजनेताओं और नौकरशाहों से मुलाकात की। मैंने उन्हें एक कंपनी का पक्ष लेने के लिए नकद देने की पेशकश की थी । लेकिन जब सिंह ने देखा कि उनकी पार्टी के लोग रिश्वत लेने में शामिल थे तो उन्होंने स्टिंग को प्रकाशित करने से इनकार कर दिया । दो साल से अधिक समय तक, मैंने स्टिंग को कहीं भी प्रकाशित करने के लिए संघर्ष किया और अंत में एक पोर्टल नारद न्यूज की स्थापना की, जिस पर इसे प्रसारित किया गया।

 

 

सवाल- सीबीआई ने आज कुछ हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां की हैं, जिसमें मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी, तृणमूल के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा और सोवन चट्टोपाध्याय को गिरफ्तार किया गया है। दो साल पहले स्टिंग में लगे आरोपों के आधार पर आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा को भी गिरफ्तार किया गया था? इसे आप कैसे देखते हैं।

जवाब- मैं इस मामले में न्याय मिलने के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहा हूं । किसी भी पत्रकार की बात सही साबित होने के लिए यह सबसे अच्छा इनाम है। पिछले पांच साल मेरे लिए भी निराशाजनक और दर्दनाक । रहे हैं क्योंकि स्टिंग में रिश्वत लेने वालों के इशारे पर कलकत्ता के अलग-अलग पुलिस थानों में मेरे खिलाफ तरह-तरह के मुकदमे दर्ज किए गए। उन्होंने मुझ पर जबरन वसूली और अन्य चीजों का आरोप लगाया। मुझे स्टिंग के बारे में सवालों के जवाब देने के लिए सीबीआई ने 40 से अधिक बार तलब किया और मैंने सहयोग किया। मैंने उन्हें सभी टेप, विस्तृत बयान दिए थे। सीबीआई ने फोरेंसिक परीक्षण के लिए टेप भेजे थे और मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई हर चीज की प्रामाणिकता की पुष्टि की थी। एजेंसी के डीआईजी, एसएसपी और अन्य जांच अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान मुझसे कई बार कहा कि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामला है और उन्हें बहुत सावधानी से चलना है। मुझे जांच या गिरफ्तारियों के पीछे का राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं पता। मैंने बस अपना काम किया है। मुझे खुशी है कि गिरफ्तारियां हुई हैं, लेकिन मुझे खुशी होगी अगर पूरी सच्चाई सामने आ जाए क्योंकि उन टेपों में और भी लोग थे जो या तो सीधे पैसे लेते थे या अपने करीबी के जरिए पैसे लेते थे।


सवाल-क्या आप विस्तार से बता सकते हैं?

आज की गिरफ्तारी इसका सिरा मात्र है। यह स्टिंग सरकारों में भ्रष्टाचार की हद को साबित करता है। यह दिखाता है कि सत्ता में बैठे लोगों को रिश्वत देना कितना आसान है। मैंने खुद को एक व्यवसायी के रूप में पेश किया, लेकिन मैं वरिष्ठ मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों से सिर्फ इसलिए मिल पाया क्योंकि इन लोगों को लगा कि वे इस सौदे से पैसा कमा सकते हैं। मैं सुवेंदु अधिकारी से उनके कार्यालय में मिला और उन्हें 5 लाख दिए। यह टेप भी सीबीआई को सौंप दिया गया था और उसे फोरेंसिक जांच में सत्यापित किया गया था। मैं मुकुल रॉय से मिला, उन्होंने सीधे नकद स्वीकार नहीं किया, लेकिन मुझे मिर्जा (2019 में नारद मामले में गिरफ्तार निलंबित आईपीएस अधिकारी) को पैसे देने के लिए कहा। मैंने मिर्जा को 15 लाख रुपये दिए और रिकॉर्ड की गई बातचीत से साबित होता है कि मिर्जा ने मुकुल रॉय के लिए पैसे लिए थे। यह कहना सही हो सकता है कि रॉय को सीधे उससे पैसे नहीं मिले और इसलिए यह दिखाने के लिए कोई टेप नहीं है कि रॉय ने पैसे लिए। पूछताछ के दौरान मिर्जा ने सीबीआई के सामने कबूल किया कि उसने रॉय के लिए पैसे लिए थे। चार्जशीट में रॉय और अधिकारी के नाम क्यों नहीं आते या राज्यपाल द्वारा अभियोजन के लिए दी गई मंजूरी की सूची मेरे लिए एक रहस्य है। सच कहूँ तो, यह चौंकाने वाला है क्योंकि आप एक ही सबूत के आधार पर यह तय नहीं कर सकते कि आप किसे गिरफ्तार करते हैं और किसे नहीं।


सवाल- आपने हकीम, सुब्रत मुखर्जी और अन्य को कितने पैसे दिए थे?

मैंने फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा को पांच-पांच लाख रुपये दिए। ये सभी लेन-देन टेप पर हैं। इसी तरह मुकुल रॉय के बारे में भी साक्ष्य है। हालांकि उन्हें रिश्वत के पैसे के लेन-देन को दिखाने वाला कोई टेप नहीं है, फिर भी मिर्जा को पैसे देने के बारे में बातचीत दर्ज की गई है। जो जांच में काम कर सकती है। इन सभी को सीबीआई को सौंपा जा चुका है और फोरेंसिक रूप से सत्यापित भी है।

सवाल- सीबीआई द्वारा पूछताछ के दौरान, क्या आप पर कभी मुकुल रॉय या अन्य पर लगे आरोपों को वापस लेने का दबाव रहा?

नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं था। मैंने उन्हें टेप और अपना बयान दिया। मैंने सबूतों को लीपापोती और छेड़छाड़ किए बिना सब कुछ रिकॉर्ड में डाल दिया। हां सीबीआई के अधिकारियों ने मुझे कई बार बताया कि यह राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है और सीबीआई को आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर अंतिम फैसला लेना होगा। यह मुझे तय नहीं करना था कि सीबीआई अपनी आगे की जांच कैसे करती है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैंने रॉय और अधिकारी के खिलाफ सबूत और बयान दिया था। सीबीआई द्वारा भी इसकी प्रामाणिकता को चुनौती नहीं दी गई। कोर्ट में भी मेरा बयान रिकॉर्ड है। कोर्ट को सीबीआई से पूछना चाहिए कि उसने रॉय और अधिकारी के खिलाफ क्या किया और क्या नहीं।

 

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