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"कैंची धाम भारत की सनातन संस्कृति का शक्ति पीठ है " : विनोद जोशी

कैंची धाम। बीते एक वर्ष में आध्यात्मिक जगत और सोशल मीडिया पर जिस स्थान की सबसे अधिक चर्चा रही, वह है...

कैंची धाम। बीते एक वर्ष में आध्यात्मिक जगत और सोशल मीडिया पर जिस स्थान की सबसे अधिक चर्चा रही, वह है "कैंची धाम"। देवभूमि उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में नैनीताल के निकट स्थित कैंची धाम आज तीर्थयात्रियों की पहली पसंद बन चुका है। दुनियाभर से लोग सुकून, शान्ति, आध्यात्मिक उन्नति की चाह में कैंची धाम पहुंच रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध संत बाबा नीब करौरी महाराज के हृदय में बसने वाला कैंची धाम महान योगियों की तपस्थली रहा है। यहां सोमवारी बाबा ने तपस्या की है। बाबा नीब करौरी महाराज ने उत्तराखण्ड के पहाड़ी भूभाग में प्रभु श्री राम और हनुमान जी महाराज के प्रति भक्ति भाव को प्रबल करने की दृष्टि से कैंची धाम में हनुमान मंदिर स्थापित किया। और देखते ही देखते यह सनातन धर्म का केंद्र बन गया। भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, शंकर दयाल शर्मा से लेकर भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह संत नीब करौरी महाराज के भक्त थे। एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जॉब्स, फेसबुक संस्थापक मार्क जुकरबर्ग से लेकर भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली कैंची धाम की महिमा को स्वीकार करते हैं। सबसे सुंदर बात यह है कि आज देश दुनिया से युवा कैंची धाम पहुंच रहे हैं। युवाओं में भक्ति भाव प्रगाढ़ हो रहा है। यह समाज, राष्ट्र,विश्व के लिए सकारात्मक है। कैंची धाम की महिमा, वहां पहुंच रहे भक्तों को लेकर कैंची धाम हनुमान मंदिर के प्रबंधक विनोद जोशी से आउटलुक हिन्दी के पत्रकार मनीष पाण्डेय ने बातचीत की। 

 

मुख्य साक्षात्कार से संपादित अंश

 

नीब करौरी महाराज और कैंची धाम का प्रवेश आपके जीवन में कब और किस तरह से हुआ ?

बाबा महाराज से तो रिश्ता जन्म जन्मांतर का होता है। बाबा महाराज की कृपा होती है और मनुष्य को उनकी शरणागति मिल जाती है। मैं बाबा महाराज से सन 1965 के आस पास मिला। पढ़ाई के सिलसिले में नैनीताल से रिश्ता जुड़ा। कैंची धाम, नैनीताल से निकट है तो कैंची धाम भी जाना हुआ। आहिस्ता आहिस्ता बाबा महाराज से अगाध प्रेम हो गया।बाबा महाराज ने मेरी पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था में पूर्ण सहयोग किया। फिर तो ऐसा हुआ कि कैंची धाम में मेरे प्राण बसने लगे। एमएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद बाबा महाराज ने मुझे दिल्ली में स्थित हनुमान मंदिर की सेवा में भी भेजा। मैंने नौकरी करने का भी प्रयास भी किया लेकिन बाबा महाराज ने तो मुझे आध्यात्मिक मार्ग का पथिक बनाना था। बाबा महाराज की समाधि के बाद, मैंने शक्ति स्वरूपा श्री सिद्धि मां के सेवक के रूप में अपना जीवन कैंची धाम में समर्पित किया। मेरा कल्याण बाबा महाराज और श्री मां की कृपा से संभव हुआ।

 

 

 

कैंची धाम और नीब करौरी महाराज के विषय में सामान्य लोगों को हाल फिलहाल में जानकारी हासिल हुई है। नीब करौरी महाराज से जुड़ा साहित्य, विडियोज बहुत अधिक उपलब्ध नहीं हैं। आपने उनके साथ लम्बा समय जिया है। हमें बताइए कि नीब करौरी महाराज का मूल संदेश क्या है ? 

बाबा महाराज भक्ति के प्रचार प्रसार को अधिक पसन्द नहीं करते थे। वह कहते थे कि भजन गोपनीय होना चाहिए। यह प्रदर्शन का विषय नहीं है। जब भजन से प्रदर्शन जुड़ जाता है तो उसकी पवित्रता ख़तम होने लगती है।प्रचार,प्रसार, प्रदर्शन के कारण ही भक्ति व्यापार बन जाती है। धर्म का धंधा होने लगता है। अंध विश्वास बढ़ता है। यही कारण है कि बाबा महाराज को फोटो, वीडियो, इंटरव्यू, चर्चा पसन्द नहीं थी। बाबा महाराज सरलता और सहजता को ही पसन्द करते थे। उनकी नज़र में सब एक थे। कोई वीआईपी कल्चर नहीं था। बड़े से बड़े राजनेता, उद्योगपति भी सामान्य ढंग से बाबा महाराज के सामने आते थे। बाबा महाराज आम आदमी से उसके परिवार के वरिष्ठ सदस्य की तरह मिलते थे, सुख दुख सुनते थे। जब भी कोई प्रभुत्व दिखाने आता तो बाबा महाराज उससे मिलने से इंकार कर देते। बाबा महाराज के यहां भेदभाव नहीं था। सभी धर्म, जाति, पंथ लिंग के लोगों पर बाबा महाराज की कृपा एक समान रूप से बरसती थी। लोग बाबा महाराज से कुंडली जागरण, ध्यान सूत्र की बात छेड़ते तो वह उन्हें राम नाम जाप और हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए कहते। बाबा महाराज का मूल उद्देश्य यही था कि मनुष्य प्रपंच और जटिल प्रक्रिया से बचे। वह हृदय की पवित्रता और सरलता पर ध्यान दे। जितना पवित्र भाव होगा, भगवत प्राप्ति उतनी सरल होगी। बाबा महाराज प्रेम और सेवा के संदेश वाहक थे। उनका मूल संदेश यही था कि सभी की सेवा करो, सभी से प्रेम करो, सभी को भोजन कराओ। प्रेम में प्रतिकूल परिस्थितियों को बदलने की ताकत होती है। ऐसा बाबा महाराज कहते थे।

क्रिकेट और सिनेमा जगत की लोकप्रिय हस्तियों के कैंची धाम पहुंचने के बाद, अचानक से कैंची धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। इससे एक ओर पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था को लाभ तो हुआ है लेकिन भारी भीड़ के कारण यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। इस पूरी स्थिति को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ? 

किसी भी तीर्थ स्थल पर आप देवी, देवता की कृपा से ही पहुंचते हैं। इसलिए जो भी लोग कैंची धाम पहुंच रहे हैं, वह बाबा महाराज की कृपा से ही आ रहे हैं। इन लोगों को बाबा महाराज की कृपा प्राप्त होनी है, उनका कल्याण होना है, सो वह कैंची धाम पहुंच रहे हैं। बाबा महाराज ने पचास साल पहले ही कह दिया था कि एक दिन विश्व कैंची आएगा।और बाबा महाराज का कहा सत्य साबित हो गया है। यह सब संतों की लीला होती है। क्रिकेटर या फिल्मी सितारे तो केवल माध्यम बनते हैं। बाकी परिवर्तन होने पर थोड़ा बहुत तालमेल स्थापित करना पड़ता है। यह सत्य है कि जब भारी संख्या में भक्त कैंची धाम पहुंचने लगे तो यातायात व्यवस्था से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को बनाने में चुनौती पेश आई। लेकिन राज्य सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रशासन संकल्प बद्ध होकर भक्तों की सुविधा के लिए प्रयासरत है। कैंची धाम पहुंचने वाला हर भक्त बाबा महाराज का मेहमान है। उसकी यात्रा, उसके अनुभव को उत्कृष्ट बनाना हमारा परम कर्तव्य है। आहिस्ता आहिस्ता सब व्यवस्थाएं दुरुस्त हो गई हैं। मुझे पूरा यकीन है कि बाबा महाराज सब कुछ ठीक तरह से संचालित करवाते रहेंगे।

 

 

आज युवाओं की भारी भीड़ कैंची धाम पहुंच रही है। इनमें ऐसे युवाओं की बड़ी संख्या है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए नहीं बल्कि सोशल मीडिया के लिए कॉन्टेंट बनाने, रील्स बनाने आ रहे हैं। उनके आने से तीर्थ की महिमा, मर्यादा प्रभावित होती है। वे लोग तीर्थ को पर्यटक स्थल की तरह देखने लगते हैं। आप इस स्थिति को किस तरह से देखते हैं ?

यह सत्य है कि आज भारत देश में भक्ति भाव बढ़ता जा रहा है। युवा देश भर के तमाम तीर्थ स्थल पर पहुंच रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि आज जीवन में तनाव, दबाव बढ़ा है। इसके कारण आदमी दुखी है। यह दुख उसे प्रकृति और ईश्वर के निकट ले जाता है। देश भर के युवा सुकून, शांति की खोज में कैंची धाम आ रहे हैं। मैं उनके आगमन को खतरे की तरह नहीं देखता। मुझे नकारात्मक बातें नहीं नजर आतीं। वे युवा हैं। उनके पास अनुभव नहीं है। मेरा मानना है कि जो भी रोशनी के पास जाएगा, उसका अंधेरा मिट जाएगा। इसलिए चाहे युवा नदी, पहाड़, प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण कैंची आ रहे हैं, वह सोशल मीडिया के कंटेंट बना रहे हैं लेकिन कैंची धाम की ऊर्जा उन्हें जरूर रूपांतरित करेगी। उनमें परिवर्तन जरूर आएगा। आहिस्ता आहिस्ता ही सही लेकिन युवाओं में गहराई और ठहराव आएगा। मेरे लिए यह सुखद अनुभूति है कि युवा तीर्थ स्थल की ओर बढ़ रहे हैं। यह युवाओं और समाज के लिए कल्याणकारी ही होगा।

उत्तराखण्ड सरकार ने कैंची धाम को विकसित करने के लिए रोडमैप तैयार किया है। सरकार की योजना है कि कैंची धाम को विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस कर दिया जाए। सरकार रोपवे से लेकर अत्याधुनिक पार्किंग और मेडिटेशन हॉल की व्यवस्था करने जा रही है।सरकार की इस योजना के पीछे पर्यटन कारोबार जुड़ा हुआ है। आज देखने को मिल रहा है कि कैंची धाम क्षेत्र में तेजी से होटल, होम स्टे, फूड कोर्ट बनकर खड़े हो रहे हैं। इससे कैंची धाम का प्राकृतिक सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है। पूर्व में ऐसे ही विकास के कारण केदारनाथ और जोशीमठ में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा था। आप राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के विषय में क्या सोचते हैं ? 

 

राज्य सरकार द्वारा तीर्थ यात्रियों की सुविधा हेतु कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार स्थानीय लोगों के कारोबार, उनकी आर्थिक उन्नति के लिए भी सोच रही है। यह अच्छी बात है।इससे किसी को भी दिक्कत नहीं है। लेकिन समस्या तब पैदा हो जाती है, जब किसी तीर्थ के मूल स्वरूप को ही बदल दिया जाता है। कैंची धाम में जो ऊर्जा महसूस होती है, वह प्रकृति की कृपा से है। यदि कैंची धाम में सब कुछ अत्याधुनिक हो जाएगा तो फिर वह दैवीय ऊर्जा प्रभावित होने लगेगी। इसलिए चाहे होटल, होम स्टे, फूड कोर्ट निर्माण कार्य हो, यह एक सीमा में ही होना चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि तीर्थ की महिमा में तप और त्याग जुड़ा हुआ है। यदि कोई कैंची धाम आकर भी हाई फाई सुविधाएं खोजता है तो फिर उसकी आध्यात्मिक उन्नति बाधित होगी। बाबा महाराज और श्री सिद्धि मां ने यदि कैंची धाम को गुप्त रखा तो उसकी सबसे बड़ी वजह यही थी कि भीड़, प्रचार के कारण कैंची धाम के प्राकृतिक सौन्दर्य को नुकसान न हो। मेरी निजी राय यह है कि विकास हो लेकिन अनियंत्रित ढंग से न हो। अन्यथा यह विनाश को आमंत्रित करता है। हम सभी को यह कोशिश करनी चाहिए कि जो भी प्रोजेक्ट बनाए जाएं, वह यह ध्यान में रखकर बनाए जाएं कि यह क्षेत्र संवेदनशील है। यदि पहाड़ियों की संवेदनशीलता को दरकिनार करके प्रोजेक्ट बनाए गए तो उसके भयावह परिणाम होंगे।

 

 

 

पिछ्ले कुछ समय से यह देखने में आया है कि नीब करौरी महाराज और कैंची धाम से जुड़ने वाले भक्त अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न सेवा, गौ सेवा कर रहे हैं। उनके लिए आपका क्या संदेश है ? 

मैं यही कहना चाहता हूं कि जब आप सेवा के मार्ग में आएं तो उद्देश्य केवल सेवा हो। सेवा किसी को प्रभावित करने के लिए नहीं होनी चाहिए। न ही सेवा से व्यक्तिगत लाभ लेने की आकांक्षा हो। सेवा के मार्ग में अहंकार की जगह नहीं है। यदि आप अहंकार से भर जाते हैं तो सेवा का सब पुण्य नष्ट हो जाते हैं। सभी भक्तों से यही कहना है कि बाबा महाराज को केवल चमत्कारिक कहानियों तक सीमित न रखें। केवल चमत्कार की उम्मीद में कैंची धाम न आएं। रातों रात नसीब बदलने की सोचकर आएंगे तो दुख प्राप्त होगा। बाबा महाराज पात्र को ही अपने निकट रखते हैं। स्वार्थ नहीं प्यारा बाबा महाराज को।यदि आपकी भक्ति सच्ची है। यदि आपके कर्म अच्छे हैं, आपका हृदय पवित्र है तो आप पर ईश्वर की कृपा जरूर होगी। इसलिए ध्यान सेवा और भक्ति में लगाएं। फल, परिणाम के फेर में पड़ेंगे तो मन अशांत और अस्थिर रहेगा।

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