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आरक्षण देना है तो सबको दो, नहीं तो खत्म कर दोः हार्दिक

वीरमगाम के मासूम से दिखने वाले 22 वर्षीय हार्दिक आरक्षण के मुद्दे पर एक ओर सरकार के निशाने पर हैं तो पिछले तीन दिनों से इन्होंने हिंदी में भाषण देकर सुर्खियां भी बटोरी हैं। अब आगे हार्दिक की क्या योजना है इस पर उन्होंने उषा चांदना से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंशः
आरक्षण देना है तो सबको दो, नहीं तो खत्म कर दोः हार्दिक

पाटीदार समाज हमेशा ही आरक्षण के खिलाफ रहा है तो अब आप सरकार के सामने आरक्षण का कार्ड क्यों खेल रहे हैं?

 

मैंने देखा कि अब हमारे पाटीदार समाज के भाईयों को रोजगार नहीं मिल रहा, अच्छे कॉलेजों में प्रवेश नहीं मिल रहा और जमीन बेचकर वे शिक्षा के पैसे जुटा रहें हैं, इसीलिए मुझे लगा कि हमें आरक्षण की मांग करनी चाहिए क्योंकि मैं इसका खुद मुक्तभोगी रहा हूं। मैंने जमीन बेचकर अपनी पढ़ाई विदेश में की।

 

लेकिन आप तो साधन संपन्न हैं फिर आपको आरक्षण की क्या जरूरत?

 

सबसे प्रमुख बात यह है पाटीदार समाज का युवा वर्ग सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है इसीलिए मुझे लगता है इस युवा वर्ग के लिए मैं कुछ करूं।

 

लेकिन इस महारैली में शक्ति परीक्षण के बाद तो युवा अनियंत्रित होता दिखाई दे रहा है और राज्य का आंदोलन हिंसक बनता जा रहा है? इसके बारे में आप क्या कहेंगे?

 

यह हमारी गलती नहीं है। पुलिस ने जिस तरह डंडे बरसाए उससे युवक आक्रोश में आ गए। हमने सरकार से मांग की है कि इस बात की जांच करे।

 

आपकी रैली को देखते हुए अब दूसरे समाज के लोग जैसे ब्राह्मण, वैष्णव समाज के लोग भी रैली निकालने की योजना कर रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता इससे समाज विभाजित होगा?

 

यह तो सरकार को सोचना है, लेकिन हमारा आरक्षण आंदोलन समाज को विभाजित करने वाला नहीं है।

 

आपने पटेलों को आरक्षण में ओबीसी के 27 प्रतिशत में समाविष्ट करने की बात की है जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता।

 

मैं चाहूंगा कि हमारे इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले, मैं चाहता हूं कि अगर आरक्षण हो तो हम सबको मिले, नहीं तो आरक्षण को खत्म कर दो।

अब आपकी आगे की क्या योजना है?

 

हम अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे।

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