पारंपरिक पर्यटन के मुकाबले अब भारत मे स्वास्थ्य पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभानाएं नजर आ रही हैं। एक चिकित्सक और पर्यटन मंत्री होने के नाते आप इसे कैसे देखते हैं?
यह सही है कि भारत में इलाज के प्रति लोगों में चेतना और विश्वास दोनों बढ़ा है। विदेश से लोग यहां इलाज कराने आना पसंद कर रहे हैं। हमारे यहां इलाज की कीमत में कमी के अलावा व्यवहार भी इसकी बड़ी वजह है। हम भारत को स्वास्थ्य पर्यटन क्षेत्र में हब बनाना चाहते हैं। इसके लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है। हम चाहते हैं, बायपास सर्जरी, घुटनों का बदलना या जो लोग वैकल्पिक चिकित्सा के लिए यहां आना चाहते हैं उन्हें कोई परेशानी न हो। आधारभूत संरचना और विश्वस्तर के चिकित्सक भारत भर में अपनी सेवाएं दे सकें इसके लिए हम नेटवर्क तैयार करने के प्रयास में हैं।
हमारे यहां प्राकृतिक चिकित्सा का भी बड़ा बाजार है। हम उसमें अग्रणी हैं। वैकल्पिक और प्राकृतिक चिकित्सा बाहर के देशों में बहुत मांग है। कई विदेशी नागरिक यहां सिर्फ इसलिए भारत आते हैं। हम इस क्षेत्र को भी उन्नत करने का प्रयास कर रहे हैं। केरल के साथ-साथ भारत के दूसरे हिस्सों में भी वैकल्पिक चिकित्सा के केंद्रों पर काम किया जाएगा।
विदेशों से भारत आने वालों के लिए वीजा एक बड़ी समस्या होती है।
मानता हूं कि पर्यटकों की संक्चया से ही कई उद्योग फलते-फूलते हैं। यह रोजगार का एक बड़ा साधन हो सकता है। इसी को ध्यान में रख कर हम ई-वीजा की सुविधा देने पर काम कर रहे हैं। जल्द ही इसके नतीजे देखने को मिलेंगे। ई-वीजा शुरू होने के बाद बहुत हद तक इस समस्या का हल हो जाएगा।
यहां आकर भी कई बार विदेशी नागरिकों को देश की जानकारी नहीं मिल पाती?
अब एक नई सुविधा अप्रैल महीने में हवाई अड्डों पर दी जाएगी। देश के बाहर से आने वाले लोगों को इमीग्रेशन काउंटर पर ही 'वेलकम कार्ड’ दिया जाएगा। इसमें हेल्पलाइन नंबर, हर राज्य के पर्यटन दक्रतर की पूरी जानकारी, भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी और होटलों के नंबर मुहैया कराए जाएंगे। यह वेलकम कार्ड बुकलेट नुमा रहेगा जिससे भारत के बारे में सही और सटीक जानकारी हासिल हो सकेगी।
भारत में पर्यटन 'व्यवस्थित उद्योग’ का रूप कब तक ले पाएगा?
पर्यटन के प्रति भारत में भी चेतना बढ़ रही है। हम ग्राम पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए गांवों में आधारभूत ढांचे का पुख्ता होना जरूरी है। हम गांवों में सफाई, सुरक्षा और सत्कार पर काम कर रहे हैं। भारत में कई स्थान ऐसे हैं जिस पर ध्यान नहीं दिया गया। वहां का पौराणिक, ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व है। ऐसे स्थानों को विकसित करने के उद्देश्य से 5 सर्किट चिन्हित किए गए हैं। हिमालयन, बुद्धिस्ट, नॉर्थ ईस्ट और कृष्ण सर्किट। इन सर्किटों के बारे में पर्यटकों को पूरी जानकारी दी जाएगी। कृष्ण सर्किट में कुरुक्षेत्र, मथुरा और वृंदावन का शामिल किया गया है। 'स्वदेश दर्शन’ नाम से इस योजना में अभी और भी कई क्षेत्र जोड़े जाएंगे। इन पांच सर्किट के लिए 70 करोड़ रुपये का बजट है।
कृष्ण सर्किट में द्वारिका शामिल क्यों नहीं है?
अभी हमने कुरुक्षेत्र को मथुरा और वृंदावन के साथ इसलिए जोड़ा है क्योंकि कुरुक्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही कम है। यह एक तरह से देखा जाए तो उपेक्षित क्षेत्र ही है। हम इसे विकसित करना चाहते हैं। मथुरा-वृंदावन में हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। यदि इनमें से कुछ हजार भी वहां भी जा सकें तो उस क्षेत्र का भी विकास होगा और वह एक अच्छे पर्यटन क्षेत्र के रूप में उन्नत हो सकेगा। फिर बाद में किसी भी स्थान को जोड़ना इतना मुश्किल भी नहीं है। अभी हम इस क्षेत्र के लिए विचार भी आमंत्रित करेंगे।
आपके पास संस्कृति, पर्यटन है साथ ही नागरिक उड्डयन। इतने अलग-अलग तरह का काम करना मुश्किल भरा नहीं रहता?
प्रधानमंत्री जी ने यदि मुझे विभिन्नताओं से भरे काम सौंपे हैं तो कुछ सोचा ही होगा। दरअसल मेरा मानना है कि अलग-अलग तरह का काम करने से आपकी क्षमताएं बढ़ती ही है। नागरिक उड्डयन में भी कई चुनौतियां हैं, संस्कृति और पर्यटन का क्षेत्र उत्साह और उमंग देता है। फिर यही ऊर्जा मैं दूसरे मंत्रालय में लगाता हूं।
एयर इंडिया की हालत इतनी खराब क्यों है?
थोड़ा वक्त दीजिए सब ठीक हो जाएगा। एयर इंडिया हमारे दिल के करीब है, उसे कोई नुकसान नहीं होगा।