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भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे: केपी ओली

नेपाल की कम्यु‍निस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी -लेनिनवादी (नेकपा-एमाले) के खडग प्रसाद शर्मा ओली को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। तिरेसठ वर्षीय ओली साल 2006 की जनक्रांति के तत्काल बाद बनी गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बने थे। संविधान बनने के बाद प्रधानमंत्री ओली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नेपाल में संविधान संशोधन को लेकर मधेशियों का आंदोलन पूरा जोर पकड़ चुका है। नए संविधान की मंजूरी से पैदा ताजा मधेशी संकट और प्रधानमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही आउटलुक के विशेष संवाददाता ने ओली से मुलाकात की थी। कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे: केपी ओली

नेपाल कई तरह के संकट से जूझ रहा है, अभी हाल में भूकंप से आई त्रासदी और उसके बाद संविधान में संशोधन को लेकर विरोध जोर पकड़ रहा है। इस बारे में आप क्या‍ कहेंगे?
यह बात बिल्कुल सही है कि इस समय नेपाल कई तरह के संकट से जूझ रहा है। प्राकृतिक आपदा ने इस देश को बुरी तरह से झकझोर दिया है। जो तबाही हुई उसका आकलन कर पाना मुश्किल है। तबाही से निपटने और जन-जीवन को सामान्य होने में समय लगेगा। इतनी बड़ी त्रासदी के बावजूद नेपाल के लोगों को संभलने में ज्यादा समय नहीं लगा। आर्थिक रूप से बड़ी तबाही हुई जिसे दूर करने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।


भूकंप के बाद नेपाल को आर्थिक रूप से दुनिया के कई देशों ने मदद की उसमें भारत भी शामिल है। क्या‍ उस मदद से नेपाल को संकट से निकलने में मदद मिलेगी?
बिल्कुल मिलेगी, लेकिन जो आर्थिक सहयोग मिला है उसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता क्यों‍कि जितनी तबाही हुई है उसकी भरपाई कर पाना मुश्किल है।

आपकी पार्टी ने भी बड़े स्तर पर राहत कार्य किया। आर्थिक रूप से मदद भी की। क्या‍ आपकी पार्टी के पास इतना पैसा है?
हमारी पार्टी के 2.60 लाख सदस्य हैं। सभी ने एक-एक हजार रुपये का योगदान किया। इसके अलावा नेपाल के बाहर से पार्टी के सदस्यों ने भी आर्थिक सहयोग किया। जो भी चंदा मिला उसे राहत कार्य में लगाया गया।

किस तरह की मदद की?
पार्टी की ओर से राहत और निर्माण कार्य किया गया। दूर-दराज गांवों में जहां तबाही हुई थी वहां 27 हजार से अधिक घरों, 1013 स्कूलों का निर्माण किया गया। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को भी मदद की गई।


प्रधानमंत्री के रूप में भारत के साथ कैसा रिश्ता रखेंगे?
भारत और नेपाल के बीच सदियों से रिश्ता रहा है और रहेगा। मैं सकारात्मक सोच का व्य‌क्ति हूं और इतना ही कह सकता हूं कि भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे।

नेपाल के कुछ राजनीतिक दल और कुछ मीडिया समूह भारत विरोधी हैं, इस बारे में आप क्या‍ कहेंगे?
ऐसा नहीं है, जो खुलकर बोलता है उसे भारत विरोधी कह दिया जाता है। भारत से नेपाल का सांस्कृतिक, धार्मिक संबंध ही नहीं बल्कि रोटी-बेटी का भी रिश्ता रहा है। प्यार में जब एक साथ सोएंगे तो कभी हाथ-पैर लग जाता है तो उससे तिलमिलाना नहीं चाहिए। नेपाल के कुछ सियासी दल भारत में जाकर भ्रम फैलाते हैं कि फलां पार्टी भारत के विरोध में है। ऐसी बाते वहीं लोग करते हैं जिनका खेती-पानी नहीं है।

 

 

 

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