आप छात्र राजनीति के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
लोकतंत्र में छात्र राजनीति राजनीति की नर्सरी है। बिना नर्सरी के ज्ञान की आगे की पढ़ाई करना व्यर्थ है। अगर आज किसी को राजनीति में आना है तो पहले से ही छात्र राजनीति के माध्यम से शुरुआत करनी चाहिए, क्योंकि इससे आपके सामाजिक सरोकार का पता चलता है।
लेकिन छात्र संगठन सरोकारों से दूर स्वार्थी होते जा रहे हैं इस बारे में आप क्या कहेंगे?
कोई स्वार्थ नहीं है। छात्र संगठन हमेशा से ही सरोकारों को लेकर ही राजनीति करते हैं। समाज में जो भी गलत होता है उसका विरोध छात्र ही करते हैं। ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि आज छात्र संघ गलत राजनीति कर रहे हैं।
छात्र संगठनों को लेकर यह सवाल भी उठता है कि राजनीति कम गुंडागर्दी ज्यादा होती है?
गलत बात है, ऐसा नहीं है। जो लोग इस प्रकार की बात करते हैं वह न तो छात्र राजनीति से सरोकार रखते हैं और न ही समाज से। छात्र संगठन हमेशा से ही मुद्दों को उठाते रहे हैं और मुद्दों की बात करते रहे हैं। अगर छात्र संघ न हो तो विश्वविद्यालय में क्या हो रहा है किसी को पता ही नहीं चलता। अगर कोई भी संस्थान गलत निर्णय लेता है तो छात्र संगठनों के माध्यम से ही उसे ठीक किया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार ने छात्र संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि सपा सरकार ने प्रतिबंध हटा दियाए आखिर क्या वजह है?
छात्र संगठन की अपनी उपयोगिता है। बसपा सरकार छात्र संघ की उपयोगिता को नहीं समझती थी। जबकि सपा सरकार ने हमेशा से छात्र संगठन को महत्व दिया है। इसलिए सपा ने सरकार बनते ही सबसे पहला फैसला छात्र संगठन की बहाली का लिया। मैं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव जी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी का आभारी हूं कि उन्होंने छात्र संघ की महत्ता को समझा और युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
कहा यह जाता है कि छात्र संघ के कारण शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई का माहौल खराब होता है?
जहां छात्र संघ नहीं है क्या वहां बेहतर पढ़ाई हो रही है। अगर ऐसा है तो जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थानों पर छात्र संघ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए। छात्र संघ के कारण ही शैक्षणिक माहौल बनता है और छात्रों को अपनी अभिव्यक्ति की आजादी मिलती है। आज जहां छात्र संघ है वहां पढ़ाई का माहौल बेहतर है और छात्र पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं।