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कड़ाई से निपट रही हैं महबूबा: राम माधव

भाजपा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे को प्रखर ढंग से लागू करने से लेकर सरहद पार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम भव्य आयोजनों और उनमें जुटाई जाने वाली भीड़ की जिम्मेदारी उठाने तक या यूं कहें कि मिशन इंपोसिबल को संभव करने का सेहरा नि:संदेह राम माधव के सिर पर बांधा जा सकता है। कश्मीर में साझेदारी में भाजपा की सरकार बनाने का पार्टी का और संघ का दशकों पुराना सपना मूर्त करने का काम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और संघ के प्रचारक राम माधव ने किया। कश्मीर से जुड़े तमाम पेचीदा सवालों पर राम माधव से बातचीत के अंश:
कड़ाई से निपट रही हैं महबूबा: राम माधव

 

 

कश्मीर में अब आपकी क्या योजना है

कश्मीर को एक विकास की ओर उन्मुख सरकार की जरूरत है। हमने पीडीपी के साथ मिलकर सिर्फ एक ही उद्देश्य के साथ सरकार बनाई है कि घाटी, जम्मू और लद्दाख तीनों क्षेत्रों में अच्छा विकास दे सकें। इस गठबंधन में क्या दिक्कतें हैं, ये सब जानते हैं। विचारधारात्मक रूप से हम अलग-अलग ध्रुव हैं। कुछ मुद्दे हैं जिन पर हम कुछ नहीं कर सकते। हमारी प्राथमिकताएं साफ हैं। जम्मू में बड़ी संख्या में 1947 के शरणार्थी हैं, जिनको पीओजेके शरणार्थी कहा जाता है, इनके अलावा वेस्ट पाकिस्तान शरणार्थी हैं, जो विभाजन के समय आए और फिर पंडित हैं। इनके लिए विकास, पुनर्वास, रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा। हमारी सरकार उस पर काम करेगी।

 

सरकार बनते ही, बीफ,  धारा 370, भारत माता की जय जैसे मुद्दों पर विवाद, कैसे चलेगी सरकार?

सरकार बनाते वक्त ही हमने न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया है, जिसमें विवादित मुद्दों जैसे धारा 370, आफस्पा आदि को फ्रीज करने का निर्णय हुआ। इसी की राह पर अब हमें सरकार चलानी है।

 

एनआईटी मुद्दे पर गड़बड़ी कहां हुई ?

एनआईटी राज्य सरकार के तहत नहीं, केंद्र के तहत आता है। एनआईटी छात्रों की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उप-मुख्यमंत्री ने उनसे मुलाकात करके उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया है। राज्य सरकार एनआईटी को राज्य से बाहर शिफ्ट करने के समर्थन में नहीं है। अब केंद्र को तय करना है।

 

आपके पार्टी के लोग, समर्थक जैसे अनुपम खेर, तेजेंद्र बग्गा, शिल्पी जत्थे लेकर एमआईटी जाना चाहते थे, आपने मदद नहीं की, क्यों ?

कश्मीर एक संवेदनशील राज्य है और वहां सुरक्षा के लिए जो चीजें जरूरी हैं उसके लिए पुलिस और प्रशासन कदम उठा रहे हैं। ये सब लोग अपने आप तय करके जा रहे थे। अगर वहां का माहौल और तनावपूर्ण होगा तो एनआईटी के बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा। जो लोग हमारे समर्थक हैं, उन्हें राज्य सरकार को समर्थन करना चाहिए, जत्था निकालना है तो हमसे बात कीजिए।

 

छात्र तो बाहर आना चाहते हैं, उनका कहना है कि वहां वे भारत माता की जय नहीं लगा सकते ?

क्यों नहीं लगा सकते। किसने रोका है। एनआईटी में वे पढ़ने के लिए गए हैं। आवश्यक अवसरों पर भारत माता की जय लगा सकते लेकिन एनआईटी में कोई भारत माता की जय कहने के लिए तो नहीं जाता है न। भारत माता की जय कहने का पूरा अधिकार रहेगा, लेकिन किसी से लड़ाई करने के लिए भारत माता की जय बोलना ठीक नहीं है। इसे कश्मीरी और गैर कश्मीरी छात्रों के बीच के टकराव के रूप में नहीं बल्कि ऐसे बच्चे जो देश प्रेम से प्रभावित है और दूसरे ऐसे जो भारत विरोधी विचारों से प्रभावित हैं, उनके बीच टकराव था।

 

हंदवाड़ा में जो हिंसा हुई, उसे कैसे देखते हैं ?

हंदवाड़ा में तो मैं यह कहने को तैयार हूं कि यहां एक सुनियोजित साजिश है ताकि राज्य में हिंसा बढ़े। इसे राज्य सरकार को कड़ाई से निपटना जरूरी है, लेकिन स्थितियां इतनी जटिल हैं कि मौतें होती हैं और फिर इससे हिंसा फैलती है।

 

राधा कुमार के समूह की रिपोर्ट ने...

मैं इस रिपोर्ट को कोई वैल्यू नहीं देता हूं। ये लोग कश्मीर को गलत ढंग से पेश करते हैं। वहां खुशी से सैन्य बलों को नहीं भेजा जाता है। कश्मीर में हिंसा ज्यादा है इसलिए सैन्य ताकतें ज्यादा हैं।

 

महबूबा कैसे हैंडिल कर रही हैं

वह कड़ाई से निपट रही है। पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है और इसका असर दिख रहा है।

 

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