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राजनीतिक अस्थिरता ने झारखंड को पीछे धकेला: रघुवर दास

डेढ़ दशक पहले बने झारखंड में पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री ने राज्य की सत्ता संभाली है। बीते वर्षों में यह राज्य घोटालों और राजनीतिक अस्थिरताओं के कारण चर्चा में रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण यह राज्य विकास के मामले में लगातार पिछड़ता रहा। करीब नौ महीने के कार्यकाल में रघुवर दास ने राज्य के विकास के लिए कई नई योजनाओं का शुभारंभ किया। उनसे आउटलुक के विशेष संवाददाता कुमार पंकज ने सरकार की योजनाओं और विकास को लेकर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:
राजनीतिक अस्थिरता ने झारखंड को पीछे धकेला: रघुवर दास

प्राकृतिक संसाधनों की परिपूर्णता के बावजूद राज्य का विकास नहीं हो पा रहा, क्यों?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि झारखंड में अकूत प्राकृतिक संपदा है। अगर इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह देश का सबसे विकसित राज्य होगा। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता ने राज्य को पीछे धकेल दिया। इस प्रदेश को राजनीति की नई प्रयोगशाला कहा जाने लगा। जो सरकारें आईं उन्होंने यहां के संसाधनों का उपयोग करने के बजाय दुरुपयोग किया। इसलिए इस राज्य की गिनती भ्रष्ट प्रदेश के रूप में होने लगी।

 

लेकिन इससे पहले राज्य में भाजपा की सरकार रही है और आप मंत्री तथा उपमुख्यमंत्री रहे। इस बारे में आप क्या कहेंगे?

सत्ता उस समय मेरे हाथ में नहीं थी। आज मैं निर्णय लेने की स्थिति में हूं। इसलिए मैं जो निर्णय ले रहा हूं उससे मुझे खुशी है कि हर निर्णय राज्य के विकास में सहायक है।

 

प्रदेश के विकास के लिए क्या योजना है?

किसी भी प्रदेश की जब तक आधारभूत संचरना ठीक नहीं है तब तक उस राज्य का विकास नहीं हो सकता। हमने सबसे पहले बिजली, सडक़, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र को चुना। इसके परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं। अभी तक राज्य में किसी भी सरकार ने आठ महीने में इतना काम नहीं किया जितना कि मेरी सरकार ने किया। हर क्षेत्र में हम विकास की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।

 

भ्रष्टाचार राज्य की बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए आपने क्या उपाय किए हैं?

मैं पहले ही कह चुका हूं कि जो सरकारें रहीं उन्होंने विकास के बजाय भ्रष्टाचार को प्राथमिकता दी। आज मैं कह सकता हूं कि पहली बार राज्य में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बनी है। भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए हमने एकल खिड़की योजना शुरू की ताकि किसी को परेशानी न हो।

 

राज्य में बड़ी आबादी आदिवासियों की है। उनके विकास के लिए आप क्या कर रहे हैं?

हम आदिवासी बहुल इलाकों में रोजगार पैदा करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी, खेती आदि पर ध्यान दे रहे हैं ताकि आदिवासियों को रोजगार मिले और उनका विकास हो सके। गरीब परिवारों के लिए गाय, भैंस उपलब्‍ध करा रहे हैं ताकि दूध का उत्पादन बढ़ सके। राज्य सरकार ने निर्यात नीति बनाई है। हम उद्योग को बढ़ावा देने जैसी योजनाओं पर भी काम कर रहे हैं।

 

आजकल कई राज्य उद्योगपतियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। क्या आपकी ऐसी कोई योजना है?

पहले राज्य की आधारभूत संरचना को मजबूत कर लें ताकि निवेशकों को दिक्कत न हो। जब हमको लगेगा कि राज्य में निवेशकों के लिए माहौल तैयार हो गया है तब हम ऐसे सम्मेलन का आयोजन करेंगे और निवेशकों को बुलाएंगे।

 

कई राज्यों में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उद्योगों के लिए मुसीबत बन जाता है, क्या झारखंड में भी भूमि का मुद्दा है?

झारखंड के लोग चाहते हैं कि उद्योग लगें। इसलिए जमीन का राज्य में मुद्दा ही नहीं है। राज्य सरकार के पास इस समय दो लाख एकड़ जमीन उपलब्‍ध है। कई जगहों पर किसान अपनी जमीन देने को तैयार हैं। हमने हर जिले का खाका तैयार किया है कि किस जिले में कितनी जमीन है।

 

प्राकृतिक संपदाओं का अवैध दोहन भी हो रहा है। इस बारे में आपकी क्या राय है?

यह पहले होता था, अब नहीं है। कोयला माफिया राज्य की प्राकृतिक संपदा पर अपना हक समझते थे। लेकिन सरकार की नीति ने अब उसे भी खत्म कर दिया।

 

राज्य के विकास के लिए केंद्र सरकार से कोई अपेक्षा?

राज्य के पास संसाधनों की कमी नहीं है। जिन योजनाओं को हमने हाथ में लिया उनमें केंद्र सरकार का सहयोग मिल रहा है। हमें किसी विशेष पैकेज की जरूरत नहीं है।

 

केंद्र में पहले भाजपा सरकार बनी, उसके बाद झारखंड में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश के लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन महंगाई और कई मुद्दों के कारण भाजपा सरकार से लोगों को निराशा हुई। क्या कहेंगे?

जनता की अपेक्षाएं नरेंद्र मोदी जी से ज्यादा हैं। लेकिन दुनिया की जो स्थिति है उससे भारत अछूता नहीं है। पहली बार केंद्र सरकार ने सब्सिडी देकर महंगाई और सूखा पड़ने की स्थिति से निपटने की पहल की है। जब दुनिया का बाजार सुधरेगा तो भारत की भी स्थिति मजबूत होगी।

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